बात का आरंभ हाल ही में विभिन्न समाचार चैनल द्वारा दिखाए जा रहे ओपिनियन पोल को लेकर समाजवादी पार्टी की आपत्ति दर्ज कराने से करते है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने की अपील की है। पटेल ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के बाद से कई चैनल ओपिनियन पोल दिखा रहे हैं जिससे मतदाता भ्रमित हो रहे हैं और चुनाव प्रभावित हो रहा है। यह कार्य आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। आपत्ति निराधार भी नहीं। सपा जहां अपनी स्थिति जीत में देख रही वहीं ये पोल भाजपा को हर सर्वे में जीत दिखा रहे।
भारत में चुनाव महज सरकार चुनने की कवायद के तौर पर नहीं, बल्कि महोत्सव की तरह ही ट्रीट किये जाते है। राजनीतिक विश्लेषक, ज्योतिषी, असंतुष्ट नेता, मीडिया, सटोरिये…यहां तक कि छोटे-छोटे दल तक इस उत्सव में भाग लेकर इसका भरपूर फायदा उठा लेना चाहते हैं। ऐसा मौका चूका तो अगले पांच साल तक इसकी कसक बैचेन करती रहती है। फिर ऐसे में भला ओपनियन पोल या एग्जिट पोल करने-करवाने वालों को इस उत्सव को भुनाने से कैसे और क्यों रोका जाए?
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