UP के मछुआरों का लड़का पंकज चौधरी कैसे बना राजस्थान का दबंग IPS, जानिए पूरी कहानी

समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 8 जून। यह कहानी है मछुआरा समुदाय से पहले आईपीएस बनने वाले की। नाम है पंकज चौधरी। ये वो शख्स हैं जिसने बुलंद हौसलों के दम पर ऊंची उड़ान भरी। सफल नौकरशाह के रूप में एक दशक का शानदार सफर तय किया। इस दौरान बार-बार टूटा भी पर कभी बिखरा नहीं। जहां भी पोस्टिंग मिली वहां दबंगई से काम किया। हाथ से पुलिस की नौकरी तक चली गई, मगर हिम्मत रखी और जबरदस्त वापसी की।


राजस्थान स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स में कमांडेंट बने पंकज चौधरी
राजस्थान कैडर के सबसे चर्चित आईपीएस अधिकारियों में से एक पंकज चौधरी की पूरी कहानी आज बताने की वजह ये है कि दो साल तक बर्खास्त रहने के बाद अब 7 जून 2021 को इन्हें राजस्थान स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स में कमांडेंट के पद पोस्टिंग मिली है। नौ जून को पदभार ग्रहण करेंगे।


पंकज चौधरी का इंटरव्यू
ग्लोबल गवर्नेंस पोर्टल से बातचीत में पंकज चौधरी ने उत्तर प्रदेश के बलिया में 5 फरवरी को 1975 को पैदा होने से लेकर आईपीएस बनने और फिर बर्खास्तगी का दंश झेलकर वापस ज्वाइन करने तक का पूरा सफर बयां किया।ये मूलरूप से यूपी के वाराणसी के रहने वाले हैं।

गंगा किनारे बीता पंकज चौधरी का बचपन
पंकज चौधरी बताते हैं कि उनका बचपन उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बीता। परिवार का पुस्तैनी काम नदी से मछली पकड़ना और बोटिंग का है। चाचा वर्तमान में भी सिवान के आस-पास के इलाके में नाव चलाते हैं। पंकज चौधरी एससी एसटी श्रेणी में आने वाले मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। देशभर में मछुआरा समुदाय की आबादी महज एक प्रतिशत है। साल 2009 में मछुआरा समुदाय से आईपीएस बनने वाले पंकज चौधरी पहले शख्स हैं।

पंकज चौधरी आईपीएस का परिवार

पंकज चौधरी के पिता एसएस चौधरी सिविल इंजीनियर के पद से रिटायर हो चुके हैं। माता का पिछले साल अक्टूबर में निधन हो गया। पंकज चौधरी तीन बहनों के इकलौते बड़े भाई हैं। तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। पंकज चौधरी ने 2018 में बनारस कोर्ट में मुकुल चौधरी से शादी की थी। इनके दो बेटे हैं।

पंकज चौधरी आईपीएस का सर्विस रिकॉर्ड
7 जून 2021 – कमांडेंट, स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स
12 मई 2021 – एपीओ
7 मार्च 2019 से 11 मई 2021 – सेवा से बर्खास्त
9 नवंबर 2015 – एसपी एससीआरबी
30 अक्टूबरीर 2014 से 5 नवंबर 2015 – आरएसी की 11वीं बटालियन के कमांडेंट
22 सितम्बर 2014 से 27 अक्टूबर 2014 – एपीओ
11 जनवरी 2014 से 21 सितम्बर 2014- एसपी बूंदी
7 अगस्त 2013 से 10 जनवरी 2014 -पीटीएस किशनगढ़ में प्रिंसिपल
23 फरवरी 2013 से 5 अगस्त 2013- एसपी जैसलमेर
24 अप्रैल 2012 से 20 फरवरी 2013- बांसवाड़ा घाटोल एएसपी
24 अक्टूबर 2011 से 21 अप्रैल 2012-एएसपी आरपीए जयपुर
11 जुलाई 2011 से 25 जुलाई 2011-एएसपी जयपुर वेस्ट
14 फरवरी 2011 से 10 जुलाई 2011 एएसपी कोटा शहर

पहले नौकरी, फिर चुनाव और अब दुबारा नौकरी
पंकज चौधरी कहते हैं कि अक्सर लोग नौकरी से वीआरएस लेकर या रिटायर होने के बाद राजनीति में आते हैं, मगर इस मामले में उनकी कहानी थोड़ी सी जुदा है। संभवतया पंकज चौधरी वो इकलौते आईपीएस अफसर हैं, जो पहले नौकरी फिर चुनाव में भाग्य आजमाया और आखिर में दुबारा नौकरी में आ गए। दरअसल, पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद पंकज चौधरी ने बाड़मेर-जैसलमेर सीट लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा की टिकट पर पर्चा भरा था, हालांकि बाद में पंकज चौधरी का नामांकन पत्र एनवक्त पर निरस्त हो गया था। इसी दौरान बसपा से ही पंकज चौधरी की पत्नी मुकुल चौधरी को जोधपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।

मुकुल चौधरी बनीं सबसे बड़ी ताकत
पंकज चौधरी कहते हैं कि पुलिस की नौकरी में रहते हुए काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। पुलिस सेवा से बर्खास्तगी प्रकरण में कई दफा कोर्ट में जाना हुआ। इस दौरान पत्नी मुकुल चौधरी उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी रहीं। मुकुल ने कोर्ट से घर तक उनका बखूबी साथ दिया।

आईएएस का पद छोड़कर खाकी चुनी
पंकज चौधरी बताते हैं कि सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक करने के बाद दिल्ली में 2000 से 2002 तक प्राइवेट कंपनी में जॉब किया। इसी दौरान एसएससी की परीक्षा पास करके दिल्ली में 2002 से 2009 तक मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स में ऑडिटर के पद पर काम किया। यूपीएससी की तैयारी भी जारी रखी। दूसरी प्रयास में 2009 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 299वीं रैंक से पास की। आईएएस बनने में भी नंबर आ रहा था, मगर पंकज चौधरी ने खाकी वर्दी को चुना और आईपीएस बने। उस वक्त पंकज चौधरी ने हिंदी माध्यम में 300 में से 230 सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी थे।

इन मामलों में चर्चा में रहे आईपीएस पंकज चौधरी

राजस्थान के कैडर के आईपीएस पंकज चौधरी ने कई जिलों में बतौर एसपी काम किया। एसपी रहते हुए पंकज चौधरी कई मामलों में खासे चर्चा में रहे।

-साल 2013 में जैसलमेर में एसपी थे तब इन्होंने गाजी फकीर की 1965 की हिस्ट्रीशीट वापस खुलवा दी थी।
-2014 में बूंदी जिले के नैनवा में सांप्रदायिक दंगों को रोकने में लापरवाही का आरोप लगा। इन्हें एपीओ किया गया। फिर आरएसी कमांडेंट बनकर दिल्ली चले गए।

-राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन निवासी मुकुल चौधरी से पंकज चौधरी की शादी।

पंकज चौधरी की पहली शादी सुधा गुप्ता से
बता दें कि पंकज चौधरी ने 4 दिसंबर 2005 को वाराणसी में सुधा गुप्ता से पहली शादी हुई थी। इनके एक बेटी पैदा हुई, जो अभी 7 वर्ष की है और हाथरस में पढ़ाई कर रही बताई जा रही है। इसके बाद पंकज और मुकुल चौधरी ने शादी की। बिना तलाक के दूसरी शादी के आरोप में मार्च 2019 में पंकज चौधरी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।पंकज चौधरी के अनुसार हाई कोर्ट इलाहबाद ने तलाक़ 1 मई 2018 स्वीकृत किया। दूसरी शादी बनारस कोर्ट 11 मई 2018 मुकुल चौधरी से हुई।

सेवा से बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती
इस फैसले को पंकज चौधरी ने कैट में चुनौती दी थी। कैट ने पंकज चौधरी की सेवा समाप्त करने को गलत माना था। दिसम्बर 2020 में कैट की प्रधान पीठ ने पंकज चौधरी की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर बहाल करने के आदेश दिए थे। इसके बाद पंकज चौधरी ने राज्य के कार्मिक विभाग, मुख्य सचिव निरंजन आर्य और डीजीपी MLA लाठर के सामने अपना प्रेजेंटेशन भी दिया था। दिसम्बर 2020 में इन्हें बहाल कर दिया गया। 13 मई 2021 को डीओपी में ज्वाइनिंग मिली। अब नई जगह पोस्टिंग दी गई है।

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