मुझे गर्व है कि मैं एन.एस.एस. की स्वयंसेवक रही हूं- सुश्री अनुसुईया उइके
राज्यपाल ने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्थापना दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं, सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम अधिकारी एवं सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवकों को पुरस्कृत किया
समग्र समाचार सेवा
रायपुर, 25सितंबर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागृह में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं, सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम अधिकारी एवं सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवकों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं एन.एस.एस. की स्वयंसेवक रही हूं। इस संस्था में कार्य करने के कारण मुझमे समाज के लिए कार्य करने का जज्बा पैदा हुआ। एन.एस.एस. युवाओं में राष्ट्रीयता, समाजसेवा और संवेदनशीलता की भावना पैदा करता है। उन्हें ग्रामीण परिवेश में भेजकर यह बताया जाता है कि गांव में किस प्रकार की परिस्थितियां हैं, क्या समस्याएं हैं। इससे उनमें सेवा करने की भावना जागृत होती है।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के दौरान सिर्फ डिग्री प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं होता है। आचार-व्यवहार संस्कार होने चाहिए। जीवन में इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जो इसे ग्राह्य करके कार्य करता है उसे अवश्य सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा लक्ष्य लेकर समर्पित होकर कार्य करें। एन.एस.एस. जैसे संस्थाओं में कार्य करने से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना विकसित होती है। यही भावना उन्हें लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता दिलाती है।
राज्यपाल ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब वे एन.एस.एस. से जुड़ी हुई थी। कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कार्य शुरू किया। वहां पर मेरे अधिकतर विद्यार्थी आदिवासी समाज के थे। मैं उनके साथ गांवों में जाकर वृक्षारोपण तथा अन्य सेवा का कार्य किया करती थी। मैं उन्हें कहा करती थी कि गांव में जाकर ग्रामीणों को शासन की योजनाओं की जानकारी दें और यह देखें कि शासन की योजनाएं वहां पहुंच पा रही है या नहीं। उन्होंने कहा कि एन.एस.एस. में कार्य करके यह सीखता है कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है और हर व्यक्ति चाहे किसी भी वर्ग के हो एक समान होते हैं। इस संस्था में कार्य करने के बाद एक जुझारूपन की भावना विकसित होती है यह भावना ही युवाओं को आगे बढ़ने में मदद करती है। मुझमें भी यह भावना एन.एस.एस. से आई और जो निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही, जिसके कारण मैं विधायक, मंत्री, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष और राज्यपाल के पद तक पहुंच पाई हूं। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना काल के दौरान एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों ने दवाई, भोजन वितरण मास्क वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देती हूं।
राज्यपाल से कहा कि हम आजादी का 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आजादी के लड़ाई में कई लोगों ने योगदान दिया। इसमें कई लोगों के बारे में हम नहीं जानते। हमें एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों को इनकी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे उनके जीवन से प्रेरणा ले। साथ ही ऐसे महान लोगों के योगदान तथा पहलुओं को सहेजने का भी कार्य करना चाहिए। राज्यपाल ने संसदीय सचिव एवं विधायक श्री विकास उपाध्याय की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान में ऐसे युवा नेतृत्व की आवश्यकता है, जो जनता की समर्पित होकर सेवा कर सके।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवा शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, समाज सेवा के कार्य, कृषि संबंधी कार्य, आर्थिंक विकास संबंधी कार्य, रक्तदान, कुष्ठ एवं एड्स के विरूद्ध संचालित अभियानों और शिविर में अपना योगदान देते हैं, तो बहुत कुछ सीखते भी हैं। ऐसे शिविर व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए अच्छे माध्यम होते हैं।
इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं विधायक श्री विकास उपाध्याय पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री केशरीलाल वर्मा उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्री भुवनेश यादव और उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा ने भी अपना संबोधन दिया।
कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ संस्था के रूप में महाविद्यालय स्तर पर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद, विद्यालय स्तर पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारापुर, जिला-रायगढ़ तथा 04 कार्यक्रम अधिकारी और 24 स्वयंसेवकों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक और उनके परिजन, शिक्षकगण उपस्थित थे।
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