“मैं जीवित शेरनी हूं, चींटियों की तरह कुचल दूंगी” — ममता बनर्जी का बंगाल चुनावी हुंकार

समग्र समाचार सेवा

कोलकाता, 8 अगस्त: पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों की आहट तेज होते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी राजनीतिक आक्रामकता का पारा चढ़ा दिया है। झारग्राम के पंचमाथा मोड़ पर आयोजित एक विशाल जनसभा में उन्होंने भाजपा पर बिना नाम लिए तीखा हमला बोला और चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें हराना इतना आसान नहीं है।

ममता का चुनावी आत्मविश्वास

ममता बनर्जी ने मंच से कहा, “मैं एक जीवित शेरनी हूं। मैं तुम्हें चींटियों की तरह कुचल दूंगी। मुझे चोट पहुँचाने की कोशिश मत करो, मैं और भी खतरनाक हो जाऊंगी। मैं तभी हार मानूंगी जब मैं चाहूंगी।”
उन्होंने विपक्ष को चेतावनी दी कि उन्हें कभी भी कम मत आंको, क्योंकि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

चुनावी दबाव और आयोग पर नाराजगी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता का यह तेवर चुनावी दबाव और चुनाव आयोग से बढ़ते टकराव का नतीजा है। हाल ही में आयोग ने कुछ सरकारी अधिकारियों को निलंबित किया था, जिस पर ममता ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया था कि आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।

बंगाली संस्कृति और अस्मिता की बात

अपने संबोधन में ममता ने बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा की अपील की। उन्होंने कहा, “हमें ‘बांग्लादेशी’ और ‘रोहिंग्या’ कहकर बदनाम किया जा रहा है। मैं कहती हूं— जय बांग्ला! अपनी पहचान और संस्कृति की रक्षा करें, बिना लड़े एक इंच भी पीछे न हटें।”
इस बयान के साथ उन्होंने अपनी राजनीति को भावनात्मक और सांस्कृतिक मोर्चे पर भी मजबूती से खड़ा किया।

राज्य कर्मचारियों को भरोसा

ममता ने सरकारी कर्मचारियों के समर्थन में कहा कि उनकी सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने चेतावनी दी कि बंगाल चुनाव में उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और विपक्ष की डराने की कोशिशें नाकाम होंगी।

राजनीतिक संदेश और 2026 की तैयारी

ममता बनर्जी के बयान न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को दर्शाते हैं बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि आने वाले महीनों में बंगाल की राजनीति और अधिक गरमाने वाली है।
“तुम मुझे तभी हरा सकते हो जब मैं चाहूं” — यह वाक्य उनकी राजनीतिक रणनीति और चुनावी तैयारी का साफ इशारा देता है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.