नेतन्याहू के खिलाफ आईसीसी गिरफ्तारी वारंट: यूरोपीय देशों में मतभेद, इटली और जर्मनी आमने-सामने

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 नवम्बर।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। इस मामले में यूरोपीय देशों के बीच मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। जहां इटली ने वारंट का समर्थन करते हुए इसे न्याय की दिशा में एक कदम बताया है, वहीं जर्मनी ने इसका विरोध करते हुए इसे राजनीतिक प्रेरित करार दिया है।

आईसीसी का वारंट और आरोप

आईसीसी ने नेतन्याहू के खिलाफ यह वारंट फिलिस्तीनी क्षेत्रों में कथित युद्ध अपराधों और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में जारी किया है। आरोप है कि नेतन्याहू की सरकार ने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में न केवल सैन्य कार्रवाई को बढ़ावा दिया, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन भी है।

आईसीसी का यह कदम उस समय आया है जब इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बार फिर से विश्व मंच पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया

इटली का समर्थन

इटली ने आईसीसी के वारंट का समर्थन करते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी नेता को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। इटली के विदेश मंत्री ने कहा:
“यह न्याय सुनिश्चित करने और युद्ध अपराधों को रोकने के लिए एक जरूरी कदम है।”
इटली ने यह भी कहा कि यह वारंट इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता की प्रक्रिया को गति देने में मदद कर सकता है।

जर्मनी का विरोध

जर्मनी ने आईसीसी के इस कदम का विरोध करते हुए इसे राजनीतिक पक्षपात का उदाहरण बताया है। जर्मनी का मानना है कि नेतन्याहू के खिलाफ इस तरह का कदम इजरायल की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।
जर्मनी के चांसलर ने कहा:
“यह वारंट अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और शांति प्रयासों को नुकसान पहुंचाएगा। नेतन्याहू के खिलाफ व्यक्तिगत कार्रवाई से समाधान के बजाय विवाद बढ़ने की आशंका है।”

अन्य देशों की स्थिति

फ्रांस और ब्रिटेन जैसे अन्य प्रमुख यूरोपीय देश फिलहाल इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनीति का पेचीदा मिश्रण है, जिसमें संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

इजरायल का रुख

इजरायल ने आईसीसी के इस कदम को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इजरायली सरकार ने इसे इजरायल विरोधी एजेंडा करार दिया और कहा कि यह वारंट देश की संप्रभुता पर सीधा हमला है। नेतन्याहू ने इसे “बेतुका और अन्यायपूर्ण” बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा है।

वारंट का संभावित असर

  1. कूटनीतिक संकट
    यह वारंट यूरोप और इजरायल के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव बढ़ा सकता है। जर्मनी जैसे देशों का विरोध और इटली जैसे देशों का समर्थन यूरोपीय संघ की एकता को चुनौती दे सकता है।
  2. शांति वार्ता पर असर
    फिलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रहे शांति वार्ता के प्रयासों पर इस कदम का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  3. अंतरराष्ट्रीय कानून का सवाल
    आईसीसी का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनीति के दायरे में बहस छेड़ सकता है कि क्या इस तरह के वारंट से वाकई न्याय स्थापित होता है या यह राजनीति से प्रेरित होता है।

निष्कर्ष

नेतन्याहू के खिलाफ आईसीसी का गिरफ्तारी वारंट एक ऐसा मुद्दा है जिसने यूरोपीय देशों और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए मतभेद पैदा कर दिए हैं। जहां कुछ देश इसे न्याय की दिशा में उठाया गया कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के भविष्य को कैसे प्रभावित करता है।

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