भारत ने नहीं भेजा तो ऑस्कर्स में कैसे पहुंच गई ‘कंगुवा’? जानें क्या है ‘एकेडमी’ और फिल्में चुनने का पूरा प्रोसेस

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 जनवरी।
भारत में हर साल ऑस्कर अवार्ड्स की चर्चा होती है, और फिल्म प्रेमियों के बीच यह सवाल हमेशा बना रहता है कि कौन सी भारतीय फिल्म ऑस्कर में जाएगी और क्या वह फिल्म नामांकित होगी। इस साल, हालांकि, भारत ने अपनी तरफ से ऑस्कर के लिए कोई फिल्म नहीं भेजी, फिर भी एक भारतीय फिल्म ‘कंगुवा’ को ऑस्कर में जगह मिल गई। इस घटना ने सबको चौंका दिया और सवाल उठने लगे कि भारत ने अपनी फिल्म क्यों नहीं भेजी, और ‘कंगुवा’ जैसी फिल्म को ऑस्कर में कैसे स्थान मिला। आइए जानते हैं कि इस पूरे प्रॉसेस में क्या होता है, और कैसे फिल्में ऑस्कर तक पहुंचती हैं।

ऑस्कर क्या है?

ऑस्कर (Oscar), जिसे एकेडमी अवार्ड्स भी कहा जाता है, फिल्म उद्योग का सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित अवार्ड है। हर साल, अमेरिकन एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज द्वारा यह अवार्ड्स दिए जाते हैं। यह पुरस्कार फिल्मों, निर्देशकों, कलाकारों और तकनीकी टीम की कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता को मान्यता प्रदान करते हैं।

ऑस्कर अवार्ड्स का आयोजन हर साल लॉस एंजिल्स में होता है, और पूरी दुनिया की फिल्म इंडस्ट्री में इसे सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। भारत के लिए यह हमेशा एक चुनौती रही है, क्योंकि हर साल फिल्म इंडस्ट्री को अपनी श्रेष्ठ फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित करने का मौका मिलता है।

भारत ने इस साल क्यों नहीं भेजी फिल्म?

हर साल भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म’ की श्रेणी में एक फिल्म भेजी जाती है। इस वर्ष, भारत की तरफ से कोई फिल्म आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए नॉमिनेट नहीं हुई। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि फिल्मों का चयन, समीक्षा और चयन समिति द्वारा किसी विशेष फिल्म को पर्याप्त मापदंडों पर खरा नहीं उतरना।

हालांकि, ‘कंगुवा’ फिल्म, जो कि भारत की एक फिल्म है, फिर भी ऑस्कर के अंतिम सूची में जगह बना पाई। यह फिल्म उन देशों की सूची में शामिल हो गई है जिनकी फिल्में अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में नामांकित हुई हैं, और यह एक चमत्कारी घटनाक्रम के रूप में उभरी है।

कंगुवा का ऑस्कर तक पहुंचने का रास्ता

‘कंगुवा’ को ऑस्कर तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह से एक वैश्विक चयन प्रक्रिया से होकर गया है। यह फिल्म, जिसे कन्नड़ भाषा में बनाया गया है, को भारत की एक नॉन-ऑफिशियल एंट्री के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसे भेजने का निर्णय नहीं लिया था, लेकिन फिल्म की टीम और अन्य प्रतिनिधियों ने इसे ऑस्कर के लिए खुद ही भेजा

फिल्म का विषय, निर्माण, निर्देशन और इसकी विशेषता ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, जिसके कारण यह नामांकित हो गई। फिल्म का चयन जूरी द्वारा किया गया और इसे दुनिया भर में मांग और प्रशंसा मिलनी शुरू हुई। इस फिल्म की आर्ट हाउस फिल्म के रूप में पहचान बनी, और यही वजह है कि इसने ऑस्कर में अपनी जगह बनाई।

ऑस्कर के लिए फिल्में चुनने का प्रोसेस क्या है?

ऑस्कर में फिल्मों को नामांकित करने की प्रक्रिया एक जटिल और विस्तृत प्रक्रिया है। सबसे पहले, फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी में एक योग्य फिल्म माना जाता है। इसके बाद, प्रत्येक देश को अपनी तरफ से एक फिल्म भेजने का अवसर मिलता है। इसके बाद एक समीक्षा समिति द्वारा फिल्म की गुणवत्ता, कहानी, दिशा, अभिनय, तकनीकी विशेषज्ञता आदि की समीक्षा की जाती है।

ऑस्कर के चयन के लिए फिल्मों का चयन निम्नलिखित आधार पर किया जाता है:

  1. कहानी और कंटेंट: फिल्म की कहानी और उसका संदेश कितना प्रभावशाली है, यह एक महत्वपूर्ण मानक है।
  2. निर्देशन: निर्देशक की कला और फिल्म को प्रस्तुत करने की शैली को देखा जाता है।
  3. अभिनय: कलाकारों का अभिनय और उनका योगदान फिल्म की सफलता में कैसे है, यह भी एक बड़ा मानक है।
  4. वैश्विक आकर्षण: फिल्म का वैश्विक प्रभाव और अन्य देशों में इसकी स्वीकार्यता भी मायने रखती है।

जब एक फिल्म इन मानकों को पूरा करती है, तो उसे नामांकित किया जाता है और उसके बाद एक व्यापक मतदान प्रक्रिया के द्वारा चुने गए विजेताओं की घोषणा की जाती है।

निष्कर्ष

‘कंगुवा’ का ऑस्कर में नामांकन यह साबित करता है कि फिल्में संवेदनशीलता, कला और कहानी के माध्यम से भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जगह बना सकती हैं, भले ही देश ने उसे ऑस्कर के लिए आधिकारिक तौर पर नहीं भेजा हो। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक नई दिशा को दर्शाती है, जहां कला और विषय की शुद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

इसके साथ ही, यह घटना यह भी दिखाती है कि ऑस्कर प्रक्रिया पूरी तरह से खुली और पारदर्शी है, और यदि किसी फिल्म में वह क्षमता हो, तो उसे पहचान मिलती है, चाहे वह देश के द्वारा भेजी गई हो या नहीं। ‘कंगुवा’ का ऑस्कर तक पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि दुनिया भर में भारतीय फिल्मों को लेकर बढ़ती स्वीकार्यता और सम्मान है।

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