संघर्ष चला तो ‘जय श्री राम’ और मंदिर बना तो ‘जय सियाराम’, मोदी जी ने इस संघर्ष से भक्ति की यह यात्रा को पूरा किया: अमित शाह
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज लोक सभा में ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण और श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पर नियम 193 के तहत चर्चा में भाग लिया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 फरवरी। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज लोक सभा में ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण और श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पर नियम 193 के तहत चर्चा में भाग लिया। अमित शाह ने कहा कि आज वे इस सदन में अपने मन और देश की जनता की आवाज को रखना चाहते हैं जो वर्षों से कोर्ट के दस्तावेज़ों में दबी हुई थी और नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे अभिव्यक्ति मिली। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन दस सहस्त्र सालों के लिए ऐतिहासिक दिन बनने वाला है। अमित शाह ने कहा कि 22 जनवरी का दिन सन् 1528 से शुरू हुए संघर्ष और अन्याय के खिलाफ आंदोलन के अंत का दिन है। 22 जनवरी का दिन करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षा और सिद्धि,पूरे भारत की आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण और महान भारत की यात्रा की शुरूआत का दिन है। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन मां भारती को विश्व गुरु बनने के मार्ग पर प्रशस्त होने का दिन है। उन्होंने श्रीराम मंदिर के लिए सन 1528 से 2024 तक संघर्ष करने वाले सभी योद्धाओं को नमन किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की कल्पना राम और राम चरित्र के बिना हो ही नहीं सकती और जो इस देश को पहचानना, जानना और जीना चाहते हैं, वो राम और रामचरित मानस के बिना ये कर ही नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि राम का चरित्र औऱ राम इस देश के जनमानस का प्राण हैं। जो लोग राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते और वे हमारे गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमित शाह ने कहा कि राम व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए इस बात का प्रतीक हैं किआदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि रामराज्य किसी एक धर्म या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं है, बल्कि आदर्श राज्य कैसा होना चाहिए इसका न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रतीक है। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के हाथों से 22 जनवरी को राम और राम के चरित्र को फिर से प्रस्थापित करने का काम हुआ है।
अमित शाह ने कहा कि हम सब उन सौभाग्यशाली लोगों में से हैं जो 1528 से अयोध्या में राम मंदिरदेखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और रामायण को अलग करके देखा ही नहीं जा सकता। कई भाषाओं, प्रदेशों और धर्मों में रामायण का जिक्र, अनुवाद, इसकी परंपराएं और राष्ट्रीय चेतना का आधार बनाने का काम हुआ है। उन्होंने कहा कि कई देशों ने रामायण को स्वीकार कर एक आदर्श ग्रंथ के रूप में प्रस्थापित किया है। अमित शाह ने कहा कि 22 जनवरी को राष्ट्र की इच्छा की पूर्ति मोदी जी के हाथों हुई। उन्होने कहा कि 1858 से कानून लड़ाई चल रही थी जो 330 साल के बाद खत्म हुई औऱ आज रामलला अपने घर में विराजमान हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि रामजन्मभूमि का इतिहास बहुत लंबा है और अनेक राजाओं, संतों, संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने इसमें अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि राम सेतु का भूमिपूजन भी प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया और राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा भी उन्होने ही की। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जो कहते हैं, वो करते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने पूरी दुनिया मेंभारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को उजागर किया है।
अमित शाह ने कहा कि 2014 से 2019 तक राम जन्मभूमि की लड़ाई चली, लाखों पेज का अनुवाद हुआ और 2019 में मोदी जी फिर प्रधानमंत्री बने। अदालत का निर्णय आने के बाद 5 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी जी ने इसकी नींव रखी। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में करोड़ों लोगों ने अपनी इच्छा और श्रद्धा को संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से अयोध्या तक पहुंचाया। इस यात्रा को अशोक सिंघल जी चरमसीमा पर ले गए, आडवाणी जी ने जनजागृति की और नरेन्द्र मोदी जी ने जनआकांक्षाओं की पूर्ति कर एक आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर दिया। इस पूरे आंदोलन को एक डेमोक्रेटिक वैल्यू के रूप मे देखा जाएगा कि कैसे एक देश अपने बहुमत वाले समाज के धार्मिक विश्वास की पूर्ति के लिए इतने समय धैर्य रखकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाता रहा और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में इसकी पूर्ति हुई।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने और राममंदिर के निर्माण के दौरान कई लोगों ने कहा कि देश में हिंसा होगी, लेकिन नरेन्द्र मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री हैं। कोर्ट के निर्णय को भी जय-पराजय की जगह माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश में परिवर्तित करने का काम मोदी जी के दूरदर्शी विचार ने किया। उन्होंने कहा कि जब मंदिर निर्माण के बाद भूमिपूजन का न्योता मिला, तब मोदी जी ने 11 दिन का कठोर व्रत रखा। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 11 दिन तक शैय्या पर न सोकर, सिर्फ नारियल पानी पीकर और हर क्षण रामभक्ति में रच-बसकर राममय बनकर प्राण प्रतिष्ठा की। उन्होंने कहा कि भारत में भक्ति आंदोलन कोई नई बात नहीं है। भारत के हजारों साल लंबे सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में एक नेता ने नेतृत्व के गुणों का परिचय देने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में अनेक महत्वपूर्ण परिणाम आए हैं। पहले पॉलिसी पैरालिसिस वाली सरकार थी औऱ आज कई नीतियां बनाकर भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व में 11वें नंबर से पांचवें नंबर पर ले जाने का काम मोदी जी ने किया है। केन्द्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि जब 1962 की तरह चीन ने हमारी सीमा से छेड़खानी की, तब दृढ़ता के साथ मोदी जी के नेतृत्व में भारत सीना तानकर खड़ा रहा। जब पुंछ और पुलवामा में आतंकी हमले हुए, तब मोदी जी ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर नेतृत्व की वीरता का परिचय दिया और घर में घुसकर जवाब देने का काम भी किया। उन्होंने कहा कि जब हजारों बच्चे परीक्षा के वक्त तनावग्रस्त रहते थे, तब एक पिता की तरह नेतृत्व का परिचय देते हुए परीक्षा पर चर्चा की बात भी प्रधानमंत्री मोदी जी ने की। इसके बाद जब मौका राम मंदिर का आया, तब एक सन्यासी और भक्त की तरह गौरवपूर्ण तरीके से आध्यात्मिक चेतना का वातावरण बनाया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस देश को बहुत लंबे समय से ऐसे नेतृत्व की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि देश की 140 करोड़ जनता ने नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री के रूप में चुनकर देश की सभी चुनौतियों को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण पूरे समाज को जोड़कर सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अद्भुत उदाहरण है। केन्द्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि अयोध्या में निर्मित राम मंदिर विध्वंस पर विकास और धर्मांधता पर आध्यात्मिकता और भक्ति की विजय है।
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