गांधीनगर 3 मई 2025 – आईआईटी गांधीनगर जो देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में गिना जाता है, इन दिनों गंभीर विवादों में घिरा हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, संस्थान में ‘प्रो-इस्लामिस्ट’ या इस्लामी कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगा है, जिसके चलते हिंदू छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैंपस के भीतर कुछ शिक्षक और छात्र समूह ‘भारत निर्मित’ विचारों, परंपराओं और बौद्धिक विमर्श को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका मुख्य निशाना भारत की सांस्कृतिक पहचान और हिंदू मूल्यों पर केंद्रित है।
कई हिंदू छात्रों ने आरोप लगाया है कि अगर वे इन विचारधाराओं का विरोध करते हैं या सवाल उठाते हैं, तो उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ता है। छात्रों के अनुसार, संस्थान में वैचारिक असहिष्णुता का माहौल बन गया है, जिससे उनकी सुरक्षा और मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है।
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि संस्थान में अतिथि व्याख्यानों, संगोष्ठियों और पाठ्यक्रमों के माध्यम से इस्लामी कट्टरपंथ को वैचारिक रूप से सामान्य किया जा रहा है। इससे न केवल हिंदू छात्रों में असंतोष है, बल्कि देशभर में भी इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ गई है।
मामले को लेकर कई हिंदू संगठनों ने सरकार और शिक्षा मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि शैक्षणिक संस्थानों में विचारों की विविधता होनी चाहिए, न कि किसी एक विचारधारा को थोपने की कोशिश।
आईआईटी प्रशासन ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन छात्रों की बढ़ती शिकायतों और मीडिया की रिपोर्टों के बाद दबाव बढ़ता जा रहा है कि संस्थान इस पर पारदर्शी जांच करे और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे।
यह मामला देश में शैक्षणिक संस्थानों में विचारधाराओं की भूमिका और छात्र सुरक्षा पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है।
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