समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जुलाई। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस) 2024 का उत्सव मनाया। इस कार्यक्रम में शिक्षा राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी और शिक्षा एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति; स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार; शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों के कुलपति, अधिकारी और छात्रों ने भी भाग लिया।
आईकेएस प्रभाग द्वारा पुस्तकों का विमोचन
इस अवसर पर, उपस्थित मंत्रियों ने शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) प्रभाग द्वारा तैयार की गई कई पुस्तकों और लेक्चर नोट्स का विमोचन किया। इनका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के बीच आईकेएस को बढ़ावा देना है।
लेक्चर नोट्स का संकलन
विमोचनों में आईकेएस में मास्टर प्रशिक्षकों के लिए संकाय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लेक्चर नोट्स का संकलन भी शामिल था, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस प्रभाग द्वारा तैयार किया गया था। ये संकाय प्रशिक्षण कार्यक्रम पिछले वर्ष तीन चरणों में आयोजित किए गए थे, जिसमें आईकेएस प्रभाग के श्री अनुराग देशपांडे और श्री एस. श्रीराम संयोजक के रूप में कार्य कर रहे थे।
पुस्तक में आईकेएस के तत्व और सिद्धांत, आईकेएस के दार्शनिक आधार, आईकेएस के तरीके- तंत्रयुक्ति, रसायन विज्ञान, कृषि, आयुर्वेद, गणित जैसे अनुशासन-विशिष्ट विषयों के साथ-साथ नीतिशास्त्र और पंचतंत्र एवं आईकेएस में आईपीआर सहित विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है, जिसमें आईकेएस के 12 प्रमुख विद्वानों का योगदान है।
कौटिल्य पर आधारित पुस्तक
एक और उल्लेखनीय विमोचन “कौटिल्य का अर्थशास्त्र: आधुनिक शासन के लिए कालजयी रणनीतियाँ” था, जिसे चाणक्य विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और आईकेएस प्रभाग अनुसंधान परियोजनाओं के एक प्रमुख अन्वेषक विनायक रजत भट्ट और चाणक्य विश्वविद्यालय में पूर्व अनुसंधान सहयोगी तेजस्वी शुक्ला ने लिखा था। यह पुस्तक राज्य शिल्प पर कौटिल्य के काम की एक सुलभ व्याख्या प्रदान करती है, जो समकालीन उदाहरणों, दृश्य सहायता और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से समृद्ध है। यह विद्वानों, छात्रों और पेशेवरों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है, जो प्राचीन ज्ञान और आधुनिक शासन को जोड़ता है।
सिद्ध परंपराओं पर पुस्तक
5वीं पीढ़ी के कलारी और सिद्ध के प्रैक्टिशनर एवं विद्वान, अगस्त्यम कलारी, त्रिवेंद्रम में आईकेएस सेंटर फॉर कलरीपयट्टू और सिद्ध परंपराओं के सह-प्रमुख अन्वेषक गुरुक्कल डॉ. एस. महेश द्वारा लिखित पुस्तक “मर्म कन्नडी: डिकोडिंग द ह्यूमन बॉडी द सिद्ध वे”, ऋषि अगस्त्य की शिक्षाओं पर गहराई से चर्चा करती है। यह पुस्तक मानव शरीर में मूलभूत शक्ति केंद्रों, मर्मों का विवरण देती है, तथा सिद्ध चिकित्सा, कलारीपयट्टू और वर्माकलाई के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह पुस्तक अगस्त्य के दर्शन की गहन शिक्षाओं और ज्ञान को दर्शाती है।
विजयनगर साम्राज्य पर पुस्तक
आज जारी की गई एक अन्य पुस्तक, “शोध विजया”, विजयनगर कर्नाटक साम्राज्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए दक्षिणी राजवंशों की भव्यता पर शोध लेखों का एक संग्रह है। डॉ. मनोरमा बी. एन. द्वारा संपादित और निर्देशित तथा नूपुरा भ्रामरी – कर्नाटक में भारतीय ज्ञान प्रणालियों के लिए एक केंद्र द्वारा प्रकाशित, इस प्रकाशन में रंगमंच और नृत्य से लेकर प्राचीन शास्त्रों एवं समकालीन अनुप्रयोगों तक के कई विषयों को शामिल किया गया है। यह नूपुरा भ्रामरी आईकेएस केंद्र का 13वां प्रकाशन है, जिसमें शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस प्रभाग द्वारा वित्तपोषित केंद्र की इंटर्नशिप में प्रशिक्षित प्रशिक्षुओं और साथियों के शोध शामिल हैं।
भारतीय ज्ञान प्रणाली और विरासत (आईकेएस एंड एच) पर रिपोर्ट
आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर मोहन राघवन द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली और विरासत (आईकेएस एंड एच) उद्योग की स्थिति पर रिपोर्ट भी कार्यक्रम के दौरान जारी की गई। यह अनुमान लगाता है कि सामूहिक भारतीय पहचान और विरासत से प्रेरित होकर आईकेएस और एच उद्योग अगले दशक में संभावित रूप से एक ट्रिलियन डॉलर का क्षेत्र बन जाएगा। यह पाककला, वस्त्र, पर्यटन, आयुर्वेद और अन्य सहित विभिन्न उद्योग क्षेत्रों की खोज करता है, जो भारतीय लोकाचार द्वारा एकीकृत उनकी विकास क्षमता पर प्रकाश डालता है।
अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस) 2024 का उद्देश्य
अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस) 2024 भारतीय ज्ञान प्रणालियों की समृद्ध विरासत और समकालीन प्रासंगिकता का उत्सव मनाने वाला एक ऐतिहासिक आयोजन होने का वादा करता है। जुलाई 2022 में वाराणसी में आयोजित एबीएसएस के पहले कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। इसका आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी, सुचारु और समय पर कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों के लिए एक साथ आने की गुंजाइश बनाने, विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने और उच्च शिक्षा संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने एवं समाधानों को स्पष्ट करने के उद्देश्यों के साथ किया गया था।
Today is the 4th anniversary of the implementation of National Education Policy, 2020. This four-year journey has been about bringing in transformative change in our education system for nurturing a new generation of learners.
NEP stands as a symbol of hope for transforming our… https://t.co/liYK0bkTBa
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) July 29, 2024
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