अंशुल कुमार मिश्रा
जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में जहां कभी घंटियों की मधुर ध्वनि और भजन गूंजते थे, वहां आज कई मंदिर वीरान पड़े हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में करीब 1200 मंदिर ऐसे हैं जिन पर पिछले कुछ दशकों में अवैध कब्जा कर लिया गया है।
कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद मंदिरों की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहा, और इसी खामोशी का फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्वों और भू-माफियाओं ने इन धार्मिक स्थलों की जमीनों पर कब्जा कर लिया। इनमें से कई जगहों पर अब निजी निर्माण हो चुके हैं, और कहीं-कहीं तो मंदिरों की पहचान तक मिटा दी गई है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लिया। अदालत ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कश्मीरी हिंदू मंदिरों और तीर्थस्थलों की संपत्तियों को तत्काल प्रभाव से सुरक्षित किया जाए और अतिक्रमण हटाया जाए।
इस मुद्दे को और गहराई से समझने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) भी गठित किया गया है, जो यह पता लगाएगा कि किस तरह से मंदिरों की संपत्तियों को बेच दिया गया या पट्टे पर दे दिया गया। इस जांच में उन सरकारी अफसरों की भूमिका भी सामने आ सकती है जो इन सौदों में शामिल थे।
इस बीच, एक राहत की बात यह भी है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 420 करोड़ रुपये के बजट से मंदिरों और धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई है। पहले चरण में 17 मंदिरों का नवीनीकरण किया जाएगा।
यह केवल धार्मिक स्थलों की बात नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत, आस्था और पहचान की रक्षा की बात है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर इन मंदिरों की खोई हुई गरिमा को वापस दिलाएं।
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