आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 मार्च।
अवैध घुसपैठ और अनाधिकृत रूप से फर्जी दस्तावेज बनाकर रहने वाले लोगों की रोकथाम के लिए मंगलवार को संसद में एक इमिग्रेशन बिल पेश किया गया। इस बिल क्या प्रावधान हैं इसमें कितनी सजा मिलेगी इस बिल के कानून बनने के बाद कौन से चार पुराने कानून खत्म हो जाएंगे। ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए यह इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025: अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कड़ा कदम, सजा का नया प्रावधान और 4 पुराने कानूनों की समाप्ति

नई दिल्ली: भारतीय संसद में 2025 में पेश किया गया इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह विधेयक अवैध घुसपैठियों, फर्जी दस्तावेजों के जरिए देश में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करता है। सरकार का मानना है कि यह विधेयक भारत के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई आंच न आए और देश में अवैध रूप से रहने वालों पर नियंत्रण पाया जा सके।

बिल का उद्देश्य और महत्त्व
इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 का सबसे बड़ा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी विदेशी नागरिक भारत में प्रवेश करता है, तो वह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करता है। यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से भारत में प्रवेश करता है या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देश में निवास करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह विधेयक भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

भारत में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य देशों से अवैध घुसपैठ की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके कारण न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा कर सकता है। इसलिए सरकार ने यह विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य अवैध घुसपैठ और अनुशासनहीन प्रवासियों को नियंत्रित करना है।

पुराने कानूनों का समापन
इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 के लागू होने के बाद, चार पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा। ये कानून हैं:

फॉरेनर्स एक्ट, 1946

पासपोर्ट एक्ट, 1920

रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट, 1939

इमिग्रेशन (करियर लाइबलिटी) कानून, 2000

ये सभी कानून औपनिवेशिक काल के हैं और अब इनके स्थान पर एक नया, आधुनिक और प्रभावी कानून लाया जा रहा है, जो अवैध घुसपैठियों और विदेशी नागरिकों से जुड़े मामलों को सख्ती से नियंत्रित करेगा। यह बदलाव भारत की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करेगा और किसी भी तरह की असुरक्षा को दूर करेगा।

मुख्य प्रावधान और सजा का प्रावधान
इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हैं:

अवैध घुसपैठ पर सजा: अगर कोई विदेशी नागरिक भारत में बिना वैध वीजा के प्रवेश करता है, तो उसे 5 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

फर्जी दस्तावेजों के मामलों में कड़ी सजा: जो व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में प्रवेश करते हैं, उन्हें 2 से 7 साल तक की सजा और 1 से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश: यदि कोई विदेशी नागरिक भारत के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करता है, तो उसे 3 साल तक की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

घुसपैठियों को लाने वाले वाहनों का जब्त: जो वाहन अवैध घुसपैठियों को भारत लाते हैं, वे जब्त कर लिए जाएंगे और वाहन मालिक पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

इस बिल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो लोग देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सरकार को और आव्रजन अधिकारियों को अधिक अधिकार दिए गए हैं ।

नागरिकता और अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए सरकार ने जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का प्रावधान किया है, जो भारतीय नागरिकों की सही पहचान सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, आधार कार्ड का सिस्टम भी लागू किया जाएगा, ताकि नागरिकता और निवास की पहचान की प्रक्रिया और मजबूत हो सके।

इमिग्रेशन बिल को लेकर विपक्ष ने विरोध जताया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के सौगात राय ने इस विधेयक की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह विधेयक कुछ खास समुदायों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हो सकता है और इसके लागू होने से सामाजिक असमानताएँ बढ़ सकती हैं। विपक्ष का यह भी कहना है कि यह विधेयक नागरिकता और पहचान से जुड़ी समस्याओं को और बढ़ा सकता है।

संभावित चुनौतियाँ और कार्यान्वन
इस कानून को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं। सबसे पहले, अवैध घुसपैठियों की पहचान और उनका सही-सही वापसी एक बड़ी समस्या हो सकती है। राज्य सरकारों से राशन कार्ड और पहचान पत्र मिलने के कारण केंद्र सरकार की स्थिति कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, डिटेंशन सेंटर्स में घुसपैठियों को रखना खर्चीला हो सकता है।

इस विधेयक के लागू होने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है, जैसा कि सीएए और एनआरसी के मामले में हुआ था। राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध घुसपैठियों की पहचान और कानूनी प्रक्रिया सही तरीके से पूरी हो।

इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो अवैध घुसपैठ और विदेशी नागरिकों से जुड़े मामलों को सख्ती से नियंत्रित करेगा। हालांकि, इसके कई पक्षों पर विवाद हो सकता है, लेकिन यह विधेयक भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक आवश्यक सुधार साबित हो सकता है। इसके लागू होने के बाद यदि राज्य सरकारों और अदालतों का सहयोग मिलता है, तो यह भारत को अवैध घुसपैठियों से निपटने में मदद करेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।

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