डॉ ममता पांडेय
जम्बू द्वीप ;भारत खंड ;आर्यावर्त को “कर्मभूमि” की संज्ञा दी गई है। ध्येय वाक्य है _”वसुधैव कुटुंबकम”। चार वेद 18 पुराण 108 उपनिषद एवं पतंजलि योग सूत्र आदि ग्रंथ वैश्विक स्तर पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय ज्ञान परंपरा के स्वर्णिम काल और विश्व गुरू की श्रेष्ठता के परिचायक हैं ।यही वजह है कि 29 नवंबर2024 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने भारत सरकार की विशेष पहल एवं अन्य सहयोगी देशों के सह प्रयोजन से इस मसौदा प्रस्ताव को सर्व सम्मति से स्वीकार किया और घोषणा की कि 21 दिसंबर 2024 को “अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस “के रूप में मनाया जाएगा। यही वजह है कि आज के दिवस को समूचा विश्व मानव के शारीरिक; मानसिक; भावनात्मक कल्याण हेतु एक उत्सव के रूप में मना रहा है।
थीम है_”आंतरिक शांति वैश्विक सद्भाव”।
“ध्यान” एक प्राचीन अभ्यास है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मन को प्रशिक्षित करने ; मानसिक स्वच्छता ;भावनात्मक संतुलन में सुधार करता है। “ध्यान” आत्मा को पोषित और मन को शांत करता है और आधुनिक चुनौतियों का समाधान प्रदान करता है।”ध्यान” की परंपरा 5000 ईसा पूर्व पहले से चली आ रही है यह व्यक्तिगत कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सार्वभौमिक उपकरण है।हम सभी के मन में यह स्वाभाविक प्रश्न उठ रहा है कि “ध्यान” विषय पर वैश्विक स्तर पर विचार? की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? समाज में तनावपूर्ण परिस्थितियां ; नकारात्मकता के बढ़ने से प्रेरक तत्वों में गिरावट आक्रामक व्यवहार; क्रोध की पराकाष्ठा;अनिद्रा; तनाव ;अवसाद;परिवार व कार्यस्थल में सामंजस्य का न होना; वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तनों का दुष्परिणाम चिंतनीय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का शोधपरक निष्कर्ष है कि समग्र कल्याण हेतु ” ध्यान” एक शक्तिशाली उपकरण है।पतंजलि योग सूत्र का निष्कर्ष है”ज्ञान का वास्तविक स्त्रोत एकाग्रता है।””तत्र प्रत्यय एकान्त ध्यानम”महर्षि पतंजलि ने विभिन्न ध्यान पारायण अभ्यासन को सुव्यवस्थित कर उनको सूत्रों में संहिताबद्ध किया जिसे पतंजलि योग सूत्र (ध्यान का योग)कहते हैं। पतंजलि योग सूत्र ने प्राचीन परंपरोसे योग के बारे में ज्ञान को संश्लेषित और व्यवस्थित किया है।भगवत गीता के पांचवें; छठवें अध्याय में ध्यान योग का वर्णन है। जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह बताया है कि निरंतर अभ्यास से किस तरह मन को शुद्ध और कैसे नियंत्रित किया जाता है? तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।वैश्विक स्तर पर भगवत गीता अनुकरणीय है।इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव डीग हैमर शॉल ने 1952 में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय न्यूयॉर्क में “ध्यान कक्ष” की स्थापना की है उसे नाम दिया है “शांति का कमरा” । उनका कहना था कि वैश्विक सद्भाव हेतु मौन और आत्म निरीक्षण की आवश्यक भूमिका है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी सतत् विकास के लक्ष्य 2030 का एजेंडा “अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण “जो की एक मौलिक मानव अधिकार है ।इसका उद्देश्य सभी लोगों का जीवन सुनिश्चित करना है। सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी भावनाओं को जागृत करना “सरकार में माइंडफुलनेस और ध्यान” लक्ष्य प्राप्ति हेतु वैश्विक सद्भाव मानव समाज के शारीरिक मानसिक भावनात्मक स्वास्थ्य कल्याण हेतु श्रेयस्कर उपाय है।
भारत में “अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस” के अवसर पर राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर पर सरकारों द्वारा ध्यान दिवस को दृष्टिगत रखते हुए उल्लेखनीय कार्य किया जा रहे हैं। मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा” ध्यान” की महत्ता एवं श्रेष्ठता के माध्यम से युवा शक्ति को जागरुक एवं प्रेरित करने हेतु महाविद्यालयीन स्तर पर कल्याणकारी एवं प्रेरक उपाय किए जा रहे हैं । शासन युवाओं के भविष्य के प्रति जवाबदेह और संवेदनशील है
क्योंकि महाविद्यालयीन युवाओं में मानसिक ;भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं “ध्यान “के अभ्यास से आत्मिक और मानसिक शक्ति बढ़ेगी जो एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होगी। जिससे लक्ष्य प्राप्ति में सहूलियत होगी।”प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अभ्यास द्वारा प्रशिक्षित होकर विद्यार्थी “ध्यान” को अपने जीवन में अपना कर अवसाद; तनाव; अनिद्रा; क्रोध चिड़चिड़े स्वभाव को छोड़ अपने को सकारात्मक विचारों से सराबोर ऊर्जावान होकर पढ़ाई के प्रति लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त करें यहीशासन का लक्ष्य है “माइंड फुल नेस ध्यान”
युवाओं की प्रेरणा बनेगा। 43 वर्षों से वैश्विक स्तर पर ध्यान के महत्व को बताने वाले गुरु श्री श्री रविशंकर जी संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा को “प्रथम ध्यान दिवस “के अवसर पर संबोधित करेंगे इसका सीधा प्रसारण आर्ट ऑफ लिविंग की ऑफिशल वेबसाइट पर भी हम भारतवासी सकेंगे। यह भारत के लिए अनुपम गौरवपूर्ण उपलब्धि एवं भारतीय ज्ञान परंपरा की श्रेष्ठता का परिचायक भी है।
डॉ ममता पांडेय
सहायक प्राध्यापक ,राजनीति विज्ञान
ठाकुर गोविन्द नारायण सिंह
शास0 महावि0 रामपुर बघेलान
जिला सतना (मध्य प्रदेश)
संदर्भ-
यूनाइटेड नेशंस 79th सेशन एजेंडा आइटम 127 ग्लोबल हेल्थ एंड फॉरेन पॉलिसी
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