पैथालॉजी और माइक्रोबायोलॉजी का चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान: सुश्री उइके
राज्यपाल इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथालॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन में वर्चुअल रूप से हुईं शामिल
समग्र समाचार सेवा
रायपुर, 04 दिसंबर। चिकित्सा विज्ञान में पैथालॉजी और माइक्रोबायोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। कोरोना जैसे भयानक महामारी की पहचान भी हम पैथालॉजी विज्ञान के माध्यम से कर पाए हैं और इसका हम बचाव भी कर रहे हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथालॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट के 69वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कही। यह सम्मेलन ‘‘ए मीटिंग ऑफ माइंड्स टू रिवाईस, एडवांस्ड प्रेक्टिसेस एंड प्रोग्रेस इन पैथालॉजी’’ विषय पर आधारित था। राज्यपाल ने इस अवसर पर पैथालॉजी विज्ञान के जनक डॉ. रूडोल्फ वर्चो को भी स्मरण किया। उन्होंने आयोजन समिति को इस वार्षिक सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि पैथालॉजी साइंस मेडिकल साइंस की महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें विषय विशेषज्ञ रोग के कारण, रोग द्वारा उत्पन्न संरचनात्मक असमानताओं एवं परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं। रोगों के निदान में पैथालॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न प्रायोगिक जांच के द्वारा सटीक रूप से बीमारी का पता लगाकर ही सही उपचार किया जा सकता है और जांच से उपचार की वास्तविक प्रगति को भी देखा जा सकता है। चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न अनुसंधानों में भी पैथोलॉजी का बहुत महत्व है।
उन्होंने कहा कि वर्षों पहले जब चिकित्सा विज्ञान पूर्ण विकसित नहीं था तब सिर्फ लक्षणों के आधार पर इलाज हुआ करता था, लेकिन पैथालॉजी साइंस के विकास के साथ हम विभिन्न परीक्षण कर आसानी से यह पता कर सकते हैं कि मरीज को कौन सा रोग है और उसके आधार पर हम उसका सटीक इलाज कर सकते हैं। हम यह कल्पना करें कि यदि पैथालॉजी विज्ञान विकसित न हों तो हम मलेरिया, डेंगू तथा अन्य संक्रामक बीमारियों में कैसे अंतर कर पाते।
राज्यपाल ने कहा कि दूरस्थ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पैथालॉजी सेंटर और पैथालॉजिस्ट की कमी महसूस की जा रही है। अतः इसके स्नातकोत्तर और डिप्लोमा जैसे पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जाने की आवश्यकता है। साथ ही इसके लिए मानक स्तर निर्धारित करते हुए प्रशिक्षण भी प्रदान की जाए। इसके लिए इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथालॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट को पहल की जानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष की बात है कि इस सम्मेलन के लिये 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया है और 600 से 700 वैज्ञानिकों द्वारा पोस्टर एवं पेपर्स प्रस्तुत किये जा रहे हैं, जो इस अधिवेशन के लिये प्रतिभागियों के उत्साह को दिखाता है। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के द्वारा पैथोलॉजी विषय के विभिन्न उपशाखाओं जैसे-हिस्टोपैथालॉजी, सायटोलॉजी, क्लिनिकल पैथालॉजी, मॉलिक्यूलर पैथालॉजी पर व्याख्यान दिये जायेंगे, जिसका लाभ, देश के फैकल्टी के साथ-साथ स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को भी मिलेगा। अंततः परोक्ष रूप से इसका लाभ छत्तीसगढ़ सहित भारतवर्ष के मरीजों को मिलेगा।
इस अवसर पर संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णुदत्त, डॉ. वत्सला मिश्रा, डॉ. असरान्ति कर, डॉ. हुरेन्द्र कुमार, डॉ. राजू भाईसारे, डॉ. रेणुका गहिने, डॉ. अरविन्द नेरल उपस्थित थे।
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