बदायूं में छात्रा को तिलक और कलावा पहनने पर स्कूल में रोका, बीएसए ने दिए जांच के आदेश

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 मई ।
बदायूं (उत्तर प्रदेश) से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे जिले में चर्चा का विषय बना दिया है। ब्लॉक उसावां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्या उसहैत में एक छात्रा को केवल इसलिए स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया गया क्योंकि उसने माथे पर तिलक लगाया था और हाथ में कलावा बांधा हुआ था।

बताया जा रहा है कि उसहैत कस्बे की इस छात्रा को स्कूल की शिक्षिकाओं ने स्कूल गेट पर ही रोक दिया और कहा कि वह पहले तिलक और कलावा हटाकर आए, तभी उसे स्कूल में प्रवेश मिलेगा। छात्रा के परिजनों ने जब इस बात की जानकारी ली तो स्कूल प्रशासन का रवैया टालमटोल वाला रहा। इस घटना की जानकारी स्थानीय लोगों और मीडिया तक पहुंचते ही मामला गर्मा गया।

जैसे ही यह मामला सामने आया, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने इस पर संज्ञान लिया और तुरंत जांच के आदेश दे दिए। बीएसए ने कहा कि स्कूल में धार्मिक चिह्नों के आधार पर भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर संबंधित शिक्षिकाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि तिलक और कलावा हमारी सनातन संस्कृति का हिस्सा हैं और इन्हें पहनना आस्था से जुड़ा हुआ मामला है, इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वहीं, कुछ अभिभावकों ने भी स्कूल प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है और इस मामले में न्याय की मांग की है।

स्कूल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बीएसए के आदेश के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी। इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त संवेदनशील मुद्दों को उजागर कर दिया है, जहां बच्चों की व्यक्तिगत आस्था और स्कूल के अनुशासन के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।

फिलहाल, पूरा मामला जांच के अधीन है और जिले के अधिकारी इस पर नजर बनाए हुए हैं। अगले कुछ दिनों में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना न सिर्फ बदायूं बल्कि पूरे प्रदेश में बहस का मुद्दा बन गई है, जहां स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों पर नीति को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देशों की जरूरत महसूस की जा रही है।

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