समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम, 2 जुलाई। नूपुर शर्मा विवाद में कन्हैया लाल की हत्या से पूरा देश सदमे में है। हर कोई भारत में तालिबानी सोच के बढ़ते प्रसार से चिंतित है। लोग सोचने लगे हैं कि मुस्लिम समाज के एक तबके में बढ़ते कट्टरपंथी विचारों की आलोचना की जाए या नहीं, सवाल उठाया जाए या नहीं। समाज के एक वर्ग में बढ़ती कट्टरता के कारणों पर भी तमाम तरह की बातें हो रही हैं। इस बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि मदरसे नफरत की जड़ हैं। उन्होंने कहा कि बचपन में ही सिखाया जा रहा है कि कोई विरोध में बोले तो सर कलम कर दो।
आरिफ मोहम्मद ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या हमारे बच्चों को ईशनिंदा करने वालों का सर कलम करना पढ़ाया जा रहा है। मुस्लिम कानून कुरान से नहीं आया है, वह किसी इंसान ने लिखा है जिसमें सर कलम करने का कानून है और यह कानून बच्चों को मदरसा में पढ़ाया जा रहा है।’ उन्होंने ये बातें राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की बर्बरता से की गई हत्या को लेकर अपनी टिप्पणी में कहीं। उन्होंने कहा कि हम लक्षण दिखने पर चिंतित होते हैं लेकिन गंभीर बीमारी को मानने से इनकार कर देते हैं।
आरिफ मोहम्मद खान अक्सर कहते रहते हैं कि मौलाना और मदरसों ने मुसलमानों के एक तबके को कट्टर बना रहा है। वो गैर-मुस्लिमों के प्रति नफरत करना सिखाते हैं जिस कारण बचपन में ही दूसरे धर्मों के प्रति नफरत का भाव पनप जाता है। ऐसे में जब वो बड़े होते हैं तो हमेशा दूसरे धर्म के लोगों के प्रति सतर्क रहते हैं और संदेह से भरे होते हैं। आरिफ के इन विचारों की कड़ी आलोचना भी होती रहती है।
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