हाल के वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर पर भारत का सम्मान एवं विश्वसनीयता में कई गुना वृद्धि हुई है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आकाशवाणी द्वारा आयोजित डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान दिया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3दिसंबर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्मृति में आकाशवाणी द्वारा 1969 से आयोजित किए जा रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान दिया। इस वर्ष के व्याख्यान का विषय था “एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का अभ्युदय”। उपराष्ट्रपति ने प्रसारण भवन, आकाशवाणी, नई दिल्ली में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ इसके वैश्विक सम्मान और विश्वसनीयता में कई गुना वृद्धि हुई है। उपराष्ट्रपति ने कहा, “आज दुनिया के देश भारत की बात सुनना चाहते हैं, उसके विचारों का सम्मान करना चाहते हैं और पूरी दुनिया भारत के युवाओं के कौशल व प्रतिभा को पहचान चुकी है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत अफ्रीकी संघ को जी-20 की सदस्यता प्रदान की गई। यह विश्व में भारत की बढ़ती साख और सम्मान का परिणाम है।”
उपराष्ट्रपति ने बताया कि एक दशक पहले, भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था, लेकिन आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, “140 करोड़ नागरिकों की कड़ी मेहनत और कुशल नेतृत्व के कारण देश ने यह उपलब्धि हासिल की है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। देश ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के बारे में चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि संभवतः यह आकाशवाणी के इतिहास में पहला कार्यक्रम है, जो इतना नियमित है और 107 एपिसोड की यात्रा पूरी कर चुका है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने लोगों से संवाद करने के लिए रेडियो को चुना और इसके माध्यम से उन्होंने संचार क्रांति पैदा की। मन की बात देश की जन की बात बन गई है और लोगों के दिलों तक पहुंचती है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश और उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कुछ बुनियादी वस्तुओं का उत्पादन आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जब भारत मोमबत्तियां, लैंप, बच्चों के खिलौने और पतंग जैसी छोटी वस्तुएं आयात करता है तो बहुत दुख होता है। आज, जब भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, तो यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लोग देश की जड़ों और संस्कृति से जुड़े रहें।” उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से देश की छवि खराब करने वालों के प्रयासों को विफल करने का भी आह्वान किया।
इस बात पर जोर देते हुए कि देश के युवाओं में भारत को अमृतकाल में शीर्ष पर ले जाने की ताकत है, श्री धनखड़ ने कहा कि भारत का विश्व के अग्रणी देश के रूप में फिर उभरना तभी संभव है जब देश का प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करेगा।
अपने स्वागत भाषण में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हमें सिखाया कि राष्ट्रपति का पद स्वतंत्र, गैर-पक्षपातपूर्ण और दलगत राजनीति से परे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दिखाया गया रास्ता आज भी प्रासंगिक है, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों को राजनीति से दूर रखा जाता है। श्री अपूर्व चंद्रा ने बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हुए, जिन्होंने 1950 से 1962 तक स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में दो पूर्ण कार्यकाल तक सेवा की।
अपूर्व चंद्रा ने याद दिलाया कि आकाशवाणी 1969 से डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती, 3 दिसंबर को डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान का आयोजन कर रहा है।
व्याख्यान देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का गहन मूल्यांकन करना चाहते हैं। इन व्याख्यानों में देश की उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं का भी आलोचनात्मक विश्लेषण किया जाता है। भारत के प्रसिद्ध विद्वान और विचारक दर्शकों के सामने अपनी पसंद के विषय पर व्याख्यान देते हैं।
इस श्रृंखला का पहला व्याख्यान 1969 में हिंदी साहित्यकार और विचारक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने दिया था। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री चन्द्रशेखर और श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, राजनीतिक नेता श्री विशम्भर नाथ पांडे और श्री यशवन्त सिन्हा, साहित्यकार श्रीमती महादेवी वर्मा, श्री अज्ञेय, श्री हरिवंश राय बच्चन, डॉ. विद्यानिवास मिश्र, श्री भीष्म साहनी, श्रीमती गौरा पंत शिवानी और श्री कृष्ण चंद्र शर्मा भिक्खु उन प्रतिष्ठित लोगों में शामिल है, जिन्होंने अतीत में यह व्याख्यान दिया है।
प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गौरव द्विवेदी, आकाशवाणी समाचार की प्रधान महानिदेशक डॉ. वसुधा गुप्ता, प्रसार भारती और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी और दिल्ली के स्कूलों व कॉलेजों के छात्र, प्रसारण भवन, नई दिल्ली में आकाशवाणी के कार्यालय में कार्यक्रम में शामिल हुए। व्याख्यान यहां देखा जा सकता है।
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