समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 6 अगस्त: राजनीति के बदलते रंगों ने एक बार फिर चौंकाया है। जिस बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना कभी कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ तीखे हमले करती थी, अब उसी पार्टी की यूबीटी गुट ने राहुल गांधी के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिवसेना (UBT) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा है कि राहुल गांधी पर की गई ‘क्या वह सच्चे भारतीय हैं?’ जैसी टिप्पणी अदालत से अपेक्षित नहीं थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अब देशभक्ति के सर्टिफिकेट बांट रही है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति
संपादकीय में तीखे शब्दों में लिखा गया कि “यह सवाल कोर्ट में था ही नहीं, फिर भी अदालत ने राहुल गांधी की देशभक्ति पर टिप्पणी क्यों की?” शिवसेना ने इसे न्यायपालिका की मर्यादा से बाहर बताया और कहा कि विपक्ष का काम सवाल पूछना होता है, न कि सरकार की हर बात पर सहमति जताना।
देशभक्ति की परिभाषा बदल गई?
‘सामना’ में आगे लिखा गया कि अब देश में देशभक्ति की परिभाषा बदल दी गई है। जो सरकार की हां में हां मिलाए, वही सच्चा देशभक्त माना जा रहा है, और जो सवाल पूछे, उसे देशद्रोही कह दिया जाता है।
शिवसेना ने केंद्र सरकार पर विचारों की असहमति को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार खुद को ही राष्ट्र की परिभाषा मान बैठी है।
संसद में राहुल को बोलने से रोका गया?
शिवसेना UBT का दावा है कि राहुल गांधी को बार-बार संसद में बोलने से रोका गया, खासकर जब उन्होंने चीन की घुसपैठ का मुद्दा उठाया। 2020 के बाद जब भी विपक्ष ने इस विषय पर बहस की मांग की, सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ लेकर बहस को टाल दिया।
सुब्रह्मण्यम स्वामी और राहुल गांधी में अंतर क्यों?
संपादकीय में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयानों का भी जिक्र किया गया, जिनमें उन्होंने कहा था कि चीन ने लद्दाख में 4067 वर्ग किमी जमीन कब्जाई है। शिवसेना ने सवाल किया कि जब वे ऐसा कहते हैं, तो उन पर कोई सवाल नहीं उठता। लेकिन जब राहुल गांधी 2000 वर्ग किमी कब्जे की बात करते हैं, तो उनकी देशभक्ति पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग
संपादकीय में व्यंग्यात्मक अंदाज में पूछा गया, “क्या अब सुप्रीम कोर्ट चीन की घुसपैठ की जांच के लिए तथ्य-जांच समिति गठित करेगा?” इस सवाल के जरिए शिवसेना ने कोर्ट और सरकार दोनों की भूमिका पर तीखा कटाक्ष किया।
शिवसेना UBT द्वारा सामना में दिया गया यह संपादकीय राजनीति के बदलते समीकरणों का आईना है। जहां एक समय बालासाहेब ठाकरे कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रखर आलोचक थे, वहीं आज उनकी पार्टी राहुल गांधी के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से सवाल पूछ रही है।
यह प्रकरण बताता है कि राजनीति में कोई रिश्ता स्थायी नहीं होता, और न ही कोई दुश्मनी। बदले हालात में संबंध, विचार और स्टैंड बदलते रहते हैं—जैसा कि इस बार शिवसेना ने दिखाया।
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