पिछले आठ वर्षों में, मोदी सरकार ने संधारणीयता एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठाये हैं- हरदीप सिंह पुरी
हरदीप सिंह पुरी ने भारत में जलवायु कार्रवाई के ध्येय को आगे बढ़ाने में शहरी पेशेवरों की सहायता करने के लिए लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम लांच किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7जून। 05 जून को मनाये गए विश्व पर्यावरण दिवस के संयोजन में राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) तथा विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआ) भारत, ने संयुक्त रूप से एक अभ्यास आधारित लर्निंग प्रोग्राम लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम (एलसीसीएम) की घोषणा की। इसका लक्ष्य भारत में विभिन्न सेक्टरों तथा भौगोलिक स्थानों पर जलवायु कार्रवाई में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए शहरी पेशेवरों के बीच क्षमता निर्माण करना है। इस फेस टू फेस लर्निंग मॉड्यूल को सुगम बनाने के लिए मैसूरु के प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एटीआई) ने एनआईयूए तथा डब्ल्यूआरआई इंडिया के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किया और इस प्रकार एलसीसीएम प्रोग्राम का पहला डिलीवरी पार्टनर बन गया।
एलसीसीएम में भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को अर्जित करने के लिए एक समन्वित प्रयास की दिशा में मध्य से कनिष्ठ स्तर के सरकारी अधिकारियों तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं सहित 5,000 पेशेवरों को सक्षम बनाने तथा उन्हें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन समाधानों के लिए तैयार करने की कल्पना की गई है। इस लांच ने भारत के शहरी जलवायु लक्ष्यों की दिशा में आवास तथा शहरी मामले मंत्रालय की उपलब्धियों को भी चिन्हित किया। केंद्रीय आवास तथा शहरी मामले मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज भारतीय नगरों में क्लाइमेट लीडर्स के बीच क्षमता निर्माण के लिए लर्निंग प्रोग्राम तथा आधे दिन की कार्यशाला का भी शुभारंभ किया।
अपने मुख्य संबोधन में, श्री पुरी ने कहा, ‘‘यह सर्वाधिक उचित एवं उपयुक्त है कि कल विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के तुरंत बाद आज हम एलसीसीएम प्रोग्राम लांच कर रहे हैं। यह प्रोग्राम न केवल जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए बल्कि हमारी आर्थिक स्थितियों को पूरी करने वाले सतत विकास के एक नए पथ का निर्माण करने के लिए भी सरकारी युक्तियों की लंबी लाइन की एक और पहल है।”
श्री पुरी ने कहा, ‘‘पिछले आठ वर्षों में, मोदी सरकार ने संधारणीयता एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठाये हैं। ग्लासगो में सीओपी26 में, प्रधानमंत्री ने पंच अमृत कार्य योजना के माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर भारत के आक्रमक एजेंडा की घोषणा की जिसमें 2070 तक भारत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन देश बनने की परिकल्पना की गई है। आज आरंभ एसीसीएम कार्यक्रम में न केवल सैकड़ों क्लाइमेट लीडर्स की पहचान करने की कोशिश की गई है बल्कि इसमें इस पर फोकस किया गया है कि किस प्रकार इन लीडर्स को उनके प्रशिक्षण के संदर्भ में अनुकूलित बनाया जा सकता है और किस प्रकार वे आगे बढ़ेंगे। यह तथ्य कि हम इसके बारे में सोच रहे हैं, अपने आप में एक क्रांतिकारी कदम है।”
पिछले वर्ष सीओपी26 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत के सहयोग को विस्तारित करते हुए वैश्विक नेताओं के समक्ष पांच गुनी रणनीति -पंच अमृत-का प्रस्ताव रखा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) तथा इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) की साझीदारी में डिजायन तथा कार्यान्वित किए गए एलसीसीएम प्रोग्राम का उद्वेश्य इस लक्ष्य को अर्जित करना है।
एलसीसीएम प्रभावी जलवायु कार्रवाई प्रदान करने के लिए खुद को कुशल बनाने तथा तैयार करने में लगे शहरी प्रैक्टिशनरों के लिए एक ब्लेंडेड यानी मिश्रित लर्निंग प्रोग्राम है। इस प्रोग्राम के चार चरण हैं: पहला चरण एक ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल है जिसे आठ सप्ताह में पूरा किया जा सकता है, दूसरा चरण चार से छह दिनों तक चलने वाला आमने-सामने का यानी फेस टू फेस सत्र है, तीसरा सत्र सहभागियों को छह से आठ महीनों में एक परियोजना को पूरा करने तथा ज्ञानवर्धक दौरों के लिए अधिदेशित करता है तथा अंतिम चरण में नेटवर्किंग एक कम्युनिटी आफ प्रैक्टिस की स्थापना करना शामिल है।
आनलाइन लर्निंग को एनयूआईए की क्षमता निर्माण शाखा नेशनल अर्बन लर्निंग प्लेटफॉर्म (एनयूएलपी) पर होस्ट किया जाएगा। इसे मैसुरु स्थित एटीआई पर भी होस्ट तथा सपोर्ट किया जाएगा। इस प्रोग्राम का उद्वेश्य अगले कुछ महीनों के दौरान पूरे भारत में एटीआई के साथ समान प्रकार का एमओयू करना है।
श्री पुरी ने शहरी पर्यावरण सेक्टर में एनयूआईए द्वारा अर्जित एक और ऐतिहासिक उपलब्धि का समारोह मनाने के लिए क्लाइमेट डाटा ऑब्जरवेटरी 2.0 वेबसाइट, नालेज प्रोडक्ट ऑन पब्लिक स्पेसेज, अर्बन आउटकम फ्रेमवर्क 2022 -डाटा कलेक्शन पोर्टल तथा सिटीजेन इंगेजमेंट फॉर अर्बन ट्रांसपोर्ट कंपेन्डियम भी लांच किया। ट्रांसपोर्ट 4 ऑल इनोवेशन चैलेंज के लिए नेशनल क्लाइमेट फोटोग्राफी अवार्ड तथा स्टेज वन क्वालिफाइंग सिटीज की भी घोषणा की गई।
आवास तथा शहरी मामले मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री कुणाल कुमार ने कहा, ‘‘भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्य को अर्जित करने के लिए, हमें नवोन्मेषण, सहभागिता, प्रौद्योगिकी, समेकन तथा क्षमता अनुकूलन की आवश्यकता है। हमने स्मार्ट सिटी मिशन सहित भारत सरकार के विभिन्न मिशन के माध्यम से पहले ही इस यात्रा की शुरुआत कर दी है। आवास तथा शहरी मामले मंत्रालय ने फ्रेंच डेवेलपमेंट एजेंसी (एएफडी), यूरोपियन यूनियन एवं एनआईयूए के सहयोग से एक एक पहल- शहरी नवोन्मेषण तंत्र के रूप में नवोन्मेषण, समेकन तथा निर्वहन (सीआईटीआईआईएस) लांच की। इस प्रोग्राम ने पर्यावरणगत तथा सामाजिक सुरक्षोपाय सहित पूरे शहरी सेक्टर में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल्स तथा फ्रेमवर्क डेवेलप किया है। लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम (एलसीसीएम) को सीआईटीआईआईएस से कनेक्ट किया गया है। एलसीसीएम के पहले समूह में सीआईटीआईआईएस प्रोग्राम के तहत सहायता प्राप्त करने वाले 12 शहरों के प्रतिभागी होंगे। एलसीसीएम सीआईटीआईआईएस का एक अभिन्न अंग होगा क्योंकि यह क्षमता निर्माण इकाई के रूप में काम करेगा।”
कर्नाटक सरकार की अपर मुख्य सचिव तथा एटीआई मैसुरु की डीजी श्रीमती वी मंजूला ने कहा, ‘‘कर्नाटक में एक प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान के रूप में, सतत विकास लक्ष्यों के लिए एक स्थापित केंद्र के साथ हम इस कार्यक्रम में समान प्रकार की अवधारणा पाते हैं। हम एलसीसीएम में एक व्यापक राज्य स्तरीय प्रशिक्षण पार्टनर प्रोग्राम लांच करने के लिए तथा एलसीसीएम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उभरने के लिए इस सहयोग और प्रक्रिया में प्राप्त अनुभव का लाभ उठाने की मंशा रखते हैं।”
राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान के निदेशक श्री हितेश वैद्या ने कहा, ‘‘भारत में शहरी क्षेत्रों में निवेश की दर, उदाहरण के लिए, स्मार्ट सिटी प्रोग्राम के लिए 30 बिलियन डॉलर को देखते हुए, भौतिक, सामाजिक तथा पर्यावरणगत सेवाओं की दिशा में विद्यमान तथा भविष्य के निवेशों के भीतर जलवायु कार्रवाई को शामिल करने की आवश्यकता सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए सर्वोपरि है। एलसीसीएम के माध्यम से, राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान जलवायु परिवर्तन मुद्वों के संदर्भ के साथ शहरी मुद्वों पर जीवंत संवाद पर क्षमता निर्माण और ज्ञान प्रसार के अपने लक्ष्य की दिशा में काम करेगा।”
डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ डॉ. ओपी अग्रवाल ने एलसीसीएम प्रोग्राम, इसकी संरचना तथा भारत में शहरी क्लाइमेट लीडरशिप को कुशल बनाने के इसके लक्ष्य को प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘‘ मिड-कैरियर पेशेवरों के लिए क्षमता निर्माण में मुख्य चुनौती सही प्रकार के शिक्षण-पढ़ाने की ऐसी शैली जो केवल व्याख्यान सुनने के बजाये कार्य करके सीखने को प्रोत्साहित करती है। एलसीसीएम ने पूरी तरह से इसे स्वीकार किया है तथा इस तरह की शिक्षण शैली को अपनाया है।”
लांच समारोह के बाद एनआईयूए के निदेशक श्री हितेश वैद्य ने आधे दिन की कार्यशाला को संबोधित किया जिन्होंने शहरी सेक्टर में क्षमता निर्माण प्रशिक्षण में संस्थान की भूमिका के बारे में जानकारी दी। भारतीय नगरों में क्लाइमेट लीडरशिप के लिए क्षमताओं पर एक पैनल चर्चा में उद्योग के विशेषज्ञों में मैसुरु के एटीआई के संयुक्त महानिदेशक डा. बी आर ममता, एनआईयूए के निदेशक श्री हितेश वैद्य, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कंट्री हेड श्री अतुल बगई, शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सीईओ श्री अंशु भारद्वाज, प्रोफेसर तथा महात्मा गांधी राज्य सार्वजनिक प्रशासन के शहरी विकास केंद्र तथा लीडरशिप डेवलपमेंट सेंटर के प्रमुख डॉ . संजीव चड्ढा, डब्लूआरआई इंडिया के अर्बन डेवलपमेंट के प्रोग्राम डायरेक्टर सुश्री रीजित मैथ्यूज शामिल थी।
लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट (एलसीसीएम) के बारे में
लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट एक क्षमता निर्माण प्रोग्राम है जो सभी सेक्टरों तथा भौगोलिक क्षेत्रों में जलवायु कार्रवाई के ध्येय को आगे बढ़ाने तथा नेतृत्व करने के लिए नेताओं के एक समूह का निर्माण करने का प्रयास करता है। इस प्रोग्राम की रूपरेखा तथा कार्यान्वयन मूल साझीदारों -राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए), विश्व संसाधन संस्थान (डब्लूयआरआई)-इंडिया, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) तथा इंडियन स्कूल आफ बिजनेस (आईएसबी) द्वारा किया गया है।
एनआईयूए के बारे में
1976 में स्थापित राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) शहरी नियोजन तथा विकास पर भारत का प्रमुख राष्ट्रीय थिंक टैंक है। अर्बन सेक्टर में अत्याधुनिक अनुसंधान के सृजन एवं प्रसार के लिए एक हब के रूप में एनआईयूए तेजी से शहरीकरण वाले भारत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवोन्मेषी समाधान और अधिक समावेशी तथा स्थायी शहरों के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहता है।
डब्ल्यूआरआई इंडिया के बारे में
डब्ल्यूआरआई इंडिया एक स्वतंत्र धमार्थ संस्था है जो कानूनी रूप से इंडिया रिसोर्स ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है, पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ तथा सामाजिक रूप से न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए वस्तुनिष्ठ जानकारी और व्यवहारिक प्रस्ताव उपलब्ध कराता है। इसका काम टिकाऊ तथा रहने योग्य शहरों के निर्माण और निम्न कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करने की दिशा में केंद्रित है। अनुसंधान, विश्लेषण तथा अनुशंसाओं के माध्यम से, डब्ल्यूआरआई इंडिया पृथ्वी की रक्षा करने, आजीविका को बढ़ावा देने तथा मानव कल्याण को बढ़ावा देने के लिए रूपांतरकारी समाधान का निर्माण करने के लिए विचारों को कार्यान्वित करता है। यह एक वैश्विक अनुसंधान संगठन विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) से प्ररत तथा जुड़ा हुआ है।
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