समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8फरवरी।श्रद्धा वॉकर मामले में आरोपी आफताब का एक बड़ा खुलासा सामने आ रहा है, जिसमें उसने कहा कि उसने श्रद्धा की लाश को पेट्रोल से जलाया और फिर उसकी हड्डियों को पीसकर फेंक दिया।
मीडिया में आ रहे समाचारों के अनुसार आफताब ने अपने कबूलनामे में यह स्वीकार किया कि उसने श्रद्धा की लाश को छतरपुर के पास महरौली के जंगलों में फेंक दिया था।
आफताब ने जो कहानी बताई है वह उसी प्यार मोहब्बत की कहानी है, जो हो तो जाता है, परन्तु उसका निभना अत्यंत कठिन दिखता है। आफताब ने कहा कि उसका और श्रद्धा का झगड़ा बहुत होता था और फिर वह लोग सम्बन्धों को सुधारने के लिए ऋषिकेश, मसूरी, मनाली और चंडीगढ़ आदि गए। और वहां पर उनकी भेंट बद्री नामक एक लड़के से हुई और फिर लोग दिल्ली में बद्री के घर गए।
वहां पर भी इन दोनों के झगड़े होने लगे और फिर बद्री ने उनसे कहा कि वह लोग उसके यहाँ से चले जाएं। फिर श्रद्धा का भाग्य उसे छतरपुर के उस घर में ले आया, जहाँ पर उसकी साँसें थमनी थीं।
और अब उनका शायद इश्क का नशा उतरने वाला होगा, क्योंकि दोनों के ही पास नौकरी नहीं थी और उनका सारा पैसा समाप्त हो गया था। फिर दोनों में झगड़ा होने लगा। उसके बाद श्रद्धा ने कहा कि मुम्बई से उसका सामान लाया जाए।
इस पर आफताब भड़क गया कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? आफताब का कहना था कि वह इस झगड़े से थक गया था और फिर उसने हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए, श्रद्धा को जमीन पर गिराकर गला घोंट दिया और जिससे श्रद्धा की मौत हो गयी।
यहाँ तक यह समझा जा सकता है कि गुस्से में हो गया हो, परन्तु उसके बस लाश के साथ आफताब ने जो किया, वह दुर्दांत अपराधी होने की कहानी बताता है।
इसके बाद की कहानी पूरी दुनिया को पता है कि कैसे आफताब ने श्रद्धा की लाश के टुकड़े कर दिए और इतना नहीं, वह उस समय भी और लड़कियों के साथ सम्बन्ध बना रहा था, जब श्रद्धा की लाश के टुकड़े घर में थे।
जहाँ यह घटना लड़कियों के सामने इसलिए भी बार-बार आनी चाहिए जिससे उन्हें यह पता चल सके कि इश्क के सपने तो बहुत सुन्दर होते हैं मगर कथित आजादी की पोल तब खुलने लगती है जब उनके सामने असलियत आती है।
जब उनके सामने वास्तविकता की खुरदुरी जमीन आती है जिसमें मुस्लिम कट्टरता के कांटे भी बिछे होते हैं। इस खुरदुरी जमीन पर उन्हें चलना ही नहीं होता है बल्कि साथ ही उन्हें अपना अस्तित्व बनाए भी रखना होता है। ऐसे में श्रद्धा जैसी औरतें, जिन्हें बहुत सोच समझकर ही “लिव-इन” में रहने का निर्णय लिया होता है और वह भी एक मुस्लिम के साथ, वह एक ऐसे जाल में फंसती है, जिससे बाहर आना उनके लिए सम्भव नहीं हो पाता!
और कर्तव्य बोध रहित फेमिनिज्म उन्हें इतना मानसिक और आर्थिक विकलांग बना देता है कि वह अपने जीवन में आए कथित आदमी पर ही निर्भर हो जाती हैं। उनके भीतर वह कर्तव्य बोध नहीं होता कि चाहे जैसा भी हो अपना जीवन और रिश्ता बचा सकें। फेमिनिज्म उन्हें इस सीमा तक विकलांग कर चुका होता है।
फेमिनिज्म जिहादियों की गोद में ही लड़कियों को फेंकता है और जिहादी तत्व इसका फायदा उठाते हैं। वह श्रद्धा जैसी हिन्दू लड़की जिससे आजादी के भंवर में फंसकर अपने पिता से यह कहने की गलती हो जाती है कि वह अपना जीवन अपने हिसाब से जियेगी, उस भंवर में फंसकर उसे केवल जिहादियों के हाथों मौत ही मिलती है।
पश्चिमी फेमिनिज्म और कुछ नहीं बल्कि जिहादी तत्वों को हिन्दू लड़कियों की खुराक दे रहा है।
इस मामले में तो नृशंसता की हर सीमा पार हुई है, जिसमें हड्डियों को ग्राइंडर में पीसकर सड़कों पर फेंक दिया गया।
परन्तु दुर्भाग्य की बात यही है कि ऐसी घटनाएं श्रद्धा वॉकर की इस जघन्य ह्त्या के बाद भी रुक नहीं रही हैं, बल्कि बढ़ ही रही हैं, रोज ही ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं।
इस मामले में आफताब का यह कबूलनामा सभी ऐसी लड़कियों को पढ़ना ही चाहिए जो ऐसे मुस्लिम लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं जो ऊपर से फेमिनिस्ट हैं, कथित ह्युमेनिस्ट अर्थात मानवता वादी हैं और इंसानियत के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हैं!
इंसानियत के पर्दे के पीछे के असली चेहरे की कहानी को समझना आवश्यक है कि कैसे एजेंडा के माध्यम से उपजा हुआ विमर्श केवल उन्हें ही जाल में फंसाने के लिए है और कुछ नहीं!
फेमिनिज्म और इस्लामी कट्टरता के बीच इस गठजोड़ को समझना ही होगा!
साभार- hindupost.in
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