समावेशी चुनाव सच्चाई के साथ जनता की सामूहिक इच्छाशक्ति की अभिव्यक्ति है, जो लोकतंत्र का परिचायक हैः मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार
सीईसी श्री राजीव कुमार ने सोशल मीडिया की चुनौतियों तथा निर्वाचन प्रबंधन निकायों के कामकाज को लेकर विमर्श पर बल दिया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,31 अक्टूबर। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पाण्डेय के साथ आज ‘निर्वाचन प्रबंधन निकायों की भूमिका, प्रारूप और क्षमता’ विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन भारत निर्वाचन आयोग ने नई दिल्ली में ‘निष्पक्ष चुनाव के लिए साझेदारी’ के तहत किया। इसका गठन दिसंबर, 2021 में ‘लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन’ के क्रम में किया गया था।
उद्घाटन समारोह में अपने मुख्य वक्तव्य में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने कहा कि मुक्त, निष्पक्ष, समावेशी, सुगम्य और प्रलोभन रहित चुनाव लोकतांत्रिक सिद्धांतों की बुनियाद हैं। यह शांति और विकासात्मक लाभों की पहली शर्त है। यह बुनियादी अवधारणा इस विचार को अंगीकार करती है कि सम्प्रभुता देश के लोगों से उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि समावेशिता का अर्थ यह भी है कि सबके लिए तथा खासतौर से महिलाओं, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, युवा मतदाताओं और सीमांत आबादी की असमानताओं का समायोजन किया जाये।
सीईसी श्री राजीव कुमार ने भारत में लोकतंत्र के विचार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोकतंत्र हमेशा भारतीय लोकाचार और जीवन जीने का एक तरीका रहा है। विविध प्रकार के मत, संवाद, चर्चाएं, सामंजस्य और गैर-आक्रामकता हमारी संस्कृति का आंतरिक हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों में लोगों का भरोसा एक स्वस्थ लोकतंत्र का सबसे बुनियादी सिद्धांत है।
इस सम्मेलन की थीम के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ‘चुनाव प्रबंधन निकायों की भूमिका, प्रारूप और क्षमता’ दरअसल ‘निष्पक्ष चुनाव’ के लिए सबसे आधारभूत चीजें हैं क्योंकि ये किसी भी चुनावी लोकतंत्र के मूलभूत और कार्यात्मक दोनों पहलुओं को शामिल करती है। सीईसी श्री राजीव कुमार ने इस शिखर सम्मेलन की प्रतिबद्धताओं को असल परिणामों तक ले जाने के लिए विश्व के लोकतांत्रिक देशों को चुनाव प्रबंधन में ईसीआई की विशेषज्ञता की पेशकश की।
आज के संदर्भ में चुनाव प्रबंधन निकायों के सामने मौजूद चुनौतियों पर बोलते हुए सीईसी श्री राजीव कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ काम कर रहे ईएमबी के सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ये स्व-घोषणा करते हैं कि उनके यहां कॉन्टेंट को प्रदर्शित करने वाली नीतियां हैं, लेकिन उनके पास जो “एल्गोरिदम शक्ति” है वो भी काम कर रही होती है। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा, “ईएमबी से ये अपेक्षा गैर-वाजिब नहीं है कि वे ज्ञात तौर-तरीकों और शैलियों वाली फेक न्यूज को ज्यादा मजबूती या शुरुआत में ही नियंत्रित करें।” श्री कुमार ने कहा कि फेक न्यूज का मुकाबला करने के लिए इस तरह के एक सक्रिय दृष्टिकोण से भरोसेमंद चुनावी परिणाम देखने को मिलेंगे जिससे इन ‘स्वतंत्रता के अधिकारों’ को बनाए रखने में मदद मिलेगी जिनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों में फलने-फूलने की जरूरत है।
श्री राजीव कुमार ने कहा कि ये समूह ही वो सही मंच है जहां हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं जैसा कि हमने कोविड के दौरान किया था। उन्होंने कहा कि मताधिकार से वंचना, चाहे वो कोविड महामारी जैसे अशांत समय के दौरान अस्थायी रूप से ही क्यों न हो, वो लोकतंत्र के लिए कतई विकल्प नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये समूह प्रासंगिक चुनौतियों व अवसरों पर सहयोग करने के लिए कई और संवादों और संस्थागत तंत्रों की नींव रखेगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सुश्री एलिजाबेथ जोन्स, उप राजनयिक (चार्ज डी अफेयर्स), संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि भारत के साथ संबंध सर्वाधिक परिणाम-आधारित हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने तथा दुनिया भर में शांति, सुरक्षा और समृद्धि लाने के लिए आपसी सहयोग करने से जुड़ी साझेदारी मजबूत हो रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अमेरिका और भारत दोनों ने लोकतांत्रिक संस्थानों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने विभिन्न चुनौतियों पर विचार करते हुए लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा, “भारत निर्वाचन आयोग, चुनावी प्रक्रियाओं की देख-रेख करने वाला व एक अच्छी तरह से संचालित चुनाव प्रबंधन निकाय का उदाहरण है। संयुक्त राज्य अमेरिका आपके नेतृत्व और अन्य लोकतंत्रों के साथ आपकी विशेषज्ञता को साझा करने में प्रसन्नता का अनुभव करता है। भारतीय चुनाव प्रशासन ने पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक देशों के लिए मानक निर्धारित किए हैं।” अपने संबोधन में उन्होंने चुनाव संचालन के सामने उभर रही विभिन्न चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सूचना व्यवस्था में हेरफेर, महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की भागीदारी में आने वाली बाधाएं, नागरिकों के लिए व्यक्तिगत दायरे में कमी और चुनावी विश्वसनीयता को कमजोर करने वाला प्रणालीगत भ्रष्टाचार शामिल हैं।”
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