आयकर विभाग ने टैक्सटाइल और फिलामेंट यार्न के विनिर्माण व्यापार में लगे प्रमुख उद्योग घराने के कई कार्यालयों में की छापेमारी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22सितंबर। आयकर विभाग ने 18 सितंबर को टैक्सटाइल और फिलामेंट यार्न के विनिर्माण व्यापार में लगे प्रमुख उद्योग घराने के दिल्ली, पंजाब और कोलकाता स्थित कॉर्पोरेट कार्यालयों में तलाशी लेने और जब्त करने का अभियान चलाया।

तलाशी अभियान के दौरान, अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज, लूज शीट्स, डायरियां और डिजिटल साक्ष्यों का पता चला है, जो इस समूह की अपनी भारतीय कंपनियों में बेहिसाबी धन को वापस भेजने में संलिप्त होने का संकेत देते हैं। इसके अलावा विभाग को जानकारी दिए बगैर विदेशी बैंक खाते होने का भी पता चला है। बहीखातों में प्रविष्टि हुए बगैर लेन-देन होने, जमीन के सौदों में नकदी लेन-देन, बहीखातों में दर्ज किए गए फर्जी खर्च, बेहिसाब नकदी व्यय, एंट्री ऑपरेटरों से आवास एंट्रीज के बारे में बड़े सबूतों को एकत्र किया गया है।

इस समूह ने अपने विदेशी बैंक खातों में लगभग 350 करोड़ रुपए का बेहिसाब धन जमा कर रखा है और टैक्स आश्रयों (हेवन) में फर्जी कंपनियों के माध्यम से इस धन को अपने व्यवसाय में वापस भेज दिया है। यह पता चला है कि इनकी कार्यप्रणाली कंपनी द्वारा मुख्य रूप से जारी किए गए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड में समूह के नियंत्रण में विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश करने से संबंधित थी, जिन्हें बाद में भुगतान में चूक का बहाना लेकर इसी कंपनी के शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया था। यह भी पाया गया है कि इस बेहिसाब धन के प्रबंधन के लिए विदशी कंपनियों और ट्रस्टों को प्रबंधन शुल्क का भी भुगतान किया गया है। हालांकि आयकर रिटर्न की अनुसूची एफए में कंपनियों और बैंक खातों के रूप में स्वामित्व/प्रबंध वाली विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने की निर्दिष्ट आवश्यकता है, लेकिन इस समूह ने आयकर विभाग के समक्ष इसका खुलासा नहीं किया है।

अस्पष्ट व्यक्तिगत नकदी खर्च से संबंधित खातों का कंपनी के मुख्य कार्यालयों में से एक में सावधानीपूर्वक रखरखाव करते हुए पाया गया। इस बारे में सबूत एकत्रित किए गए कि करीब सौ करोड़ रुपये की नकदी कंपनी के खातों में फर्जी व्यय और जमीन के सौदों में नकदी लेनदेन द्वारा ऋण खातों में डालकर जुटाई गई है। तलाशी अभियान और आगे की जांच जारी है।

आयकर विभाग ने दिनांक 17.09.2021 को इस्पात उत्पादों के विनिर्माण व्यवसाय में लगे एक प्रमुख उद्योग समूह में तलाशी लेने और जब्त करने का अभियान चलाया। कोलकाता, दुर्गापुर, आसनसोल और पुरुलिया तथा पश्चिम बंगाल के अन्य क्षेत्रों में फैले इस समूह के आठ आवास, नौ कार्यालयों और आठ फैक्टरी सहित कुल मिलाकर 25 परिसरों में यह अभियान चलाया गया।

इस तलाशी अभियान के दौरान इस समूह के विभिन्न परिसरों से भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों का पता चला है। इस समूह द्वारा बेहिसाब नकद बिक्री, बेहिसाबी नकदी व्यय, फर्जी पार्टियों से खरीदारी, वास्तविक उत्पादन को कम दर्शाने, स्क्रैप की नकद खरीदारी तथा जमीन खरीदने और बेचने से संबंधित अनेक दस्तावेजी साक्ष्यों का पता चला है। बेहिसाबी आय का गैर-जमानती ऋणों के रूप में उपयोग करने और शेल (फर्जी) कंपनियों के शेयरों की बिक्री संबंधी साक्ष्यों का भी पता चला है। इस उद्योग समूह के एक सदस्य के नाम से बड़ी संख्या में संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनमें अलग-अलग नामों से जमीन और संपत्ति की होल्डिंग को दर्शाया गया है। ये सभी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इस विनिर्माण समूह से संबंधित ऐसे आपत्तिजनक साक्ष्यों की कुल राशि 700 करोड़ रुपए से अधिक है। इस अभियान में 20 लाख रुपए की बेहिसाब नकद राशि भी जब्त की गई है, जबकि अभी दो लॉकरों को खोला नहीं गया है।

इस तलाशी अभियान के दौरान उस एंट्री प्रदाता के आवास की भी तलाशी ली गई, जो इस समूह को एंट्री उपलब्ध करा रहा था। उसके गुप्त कार्यालय से बड़ी संख्या में शेल कंपनियों के शेयरों की बिक्री, शेल संस्थाओं से गैर जमानती ऋण, फर्जी बिलिंग जैसे तरीकों के माध्यम से आश्रय एंट्री उपलब्ध करने से संबंधित बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें कई सौ करोड़ रुपए की हेरा-फेरी होने का पता चला है। इस एंट्री ऑपरेटर के परिसरों से 200 से अधिक बैंक खातों के प्रबंधन वाली 200 से अधिक कंपनियों और संस्थानों के साक्ष्य भी मिले हैं। इन दस्तावेजों की आरंभिक जांच के आधार पर ऐसा लगता है कि इन बैंक खातों और संस्थाओं का उपयोग अनेक लाभार्थियों की बेहिसाब आय को समायोजन माध्यम के रूप में किया गया है।

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