राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2022 में साइबर अपराधों में वृद्धि, सरकार ने किए ठोस कदम

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अगस्त। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपराधों पर अपने प्रकाशन “भारत में अपराध” में सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2022 की अवधि के दौरान साइबर अपराध शीर्षक (माध्यम/लक्ष्य के रूप में संचार उपकरणों से जुड़े) के तहत दर्ज मामले निम्नानुसार हैं:

वर्ष साइबर अपराध दर्ज मामले
2020 50,035
2021 52,974
2022 65,893

संविधान में पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र मुख्य रूप से अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से ऑनलाइन लेनदेन धोखाधड़ी और साइबर अपराध सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। साइबर स्पेस की चुनौतियां कई हैं जो इसकी विशालता और सीमाहीन चरित्र से उत्पन्न होती हैं।

केन्‍द्र सरकार की पहल
केन्‍द्र सरकार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की पहलों को उनके कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से पूरक बनाती है। साइबर अपराधों से विस्तृत और समन्वित तरीके से निपटने के तंत्र को मजबूत करने के लिए, केन्‍द्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्‍द्र (I4सी): गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और विस्तृत तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्‍द्र’ (I4सी) की स्थापना की है।

संयुक्त साइबर समन्वय दल (जेसीसीटी): मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए I4सी के तहत सात संयुक्त साइबर समन्वय दल गठित किए गए हैं, जो साइबर अपराध हॉटस्पॉट/बहु-न्यायालयीय मुद्दों वाले क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करते हैं, ताकि राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाया जा सके। 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।

राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच): राज्य/संघ राज्य क्षेत्र पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए I4सी के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में अत्याधुनिक ‘राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)’ की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में मदद के लिए मोबाइल फोरेंसिक, मेमोरी फोरेंसिक, सीडीआर विश्लेषण आदि जैसे लगभग 10,200 साइबर फोरेंसिक में राज्य एलईए को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: I4सी के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है, ताकि आम जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पोर्टल पर दर्ज साइबर अपराध की घटनाओं, उन्हें एफआईआर में परिवर्तित करने और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली: वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए I4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ शुरू की गई है। अब तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतों में 2400 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।

साइट्रेन पोर्टल: साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए I4सी के तहत बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, जिसका नाम ‘साइट्रेन’ पोर्टल है, विकसित किया गया है। पोर्टल के माध्यम से राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 96,288 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और 70,992 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

सिम कार्ड और आईएमईआई ब्लॉकिंग: पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आज तक 5.8 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,08,000 आईएमईआई को भारत सरकार द्वारा ब्लॉक किया गया है।

साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण: I4सी ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 6,800 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है। I4सी ने 35,000 से अधिक एनसीसी कैडेटों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) योजना: गृह मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) योजना के तहत राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की भर्ती और एलईए के कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे क्षमता निर्माण के लिए 131.60 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ चालू की गई हैं और 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जाँच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य): हैदराबाद में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) की स्थापना की गई है। इस प्रयोगशाला की स्थापना से साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्यों के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता मिलेगी, साक्ष्यों को संरक्षित किया जा सकेगा और आईटी कानून तथा साक्ष्य कानून के प्रावधानों के अनुरूप उनका विश्लेषण किया जा सकेगा; तथा समय की बचत होगी।

साइबर अपराध जागरूकता के लिए केंद्र सरकार के प्रयास
साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, केन्‍द्र सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, एसएमएस, आई4सी सोशल मीडिया अकाउंट यानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) (@साइबरदोस्त), फेसबुक (साइबरदोस्तआई4सी), इंस्टाग्राम (साइबरदोस्तआई4सी), टेलीग्राम (साइबरदोस्ती4सी) के जरिए संदेशों का प्रसार, रेडियो अभियान, कई माध्यमों में प्रचार के लिए माईगव को शामिल करना, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सहयोग से साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह का आयोजन, किशोरों/छात्रों के लिए पुस्तिका का प्रकाशन आदि शामिल हैं। राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों से बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार करने का भी अनुरोध किया गया है।

यह बात गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।

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