भारी बारिश से बढ़ा खतरा, चारधाम यात्रा एहतियातन स्थगित

समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 29 जून: उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश और पहाड़ों में भूस्खलन के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रशासन ने चारधाम यात्रा को फिलहाल अस्थायी रूप से रोकने का बड़ा निर्णय लिया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

मौसम विभाग का चेतावनी अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग ने चेताया है कि अगले 24 घंटों में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ जिलों में अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है। इसे देखते हुए प्रशासन ने चारधाम यात्रा मार्गों पर एहतियातन सभी जरूरी इंतजाम किए हैं। गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि मौसम सामान्य होने तक किसी भी नए यात्री को यात्रा शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

भूस्खलन से रास्ते हुए बाधित
लगातार बारिश से कई जगहों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। सड़कों पर मलबा और फिसलन के चलते रास्ते बंद हो गए हैं। आयुक्त ने बताया कि राहत और बचाव दलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और संवेदनशील इलाकों में तुरंत सहायता पहुंचाने की पूरी तैयारी है।

राहत-बचाव टीमें तैनात, श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया
जिलों के डीएम, पुलिस बल और आपदा प्रबंधन टीमें पूरी सतर्कता के साथ हालात पर नजर बनाए हुए हैं। SDRF को संवेदनशील जगहों पर तैनात किया गया है। वहीं प्रशासन ने धर्मशालाओं, होटलों और बस अड्डों के माध्यम से यात्रियों को जानकारी देना शुरू कर दिया है। रास्ते में फंसे यात्रियों को सुरक्षित ठहरने, खाने-पीने और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

सोशल मीडिया से फैलाए जा रहे संदेश
गढ़वाल आयुक्त ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और केवल सरकारी सूचना पर ही भरोसा करें। प्रशासन लगातार सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से यात्रा स्थगन की सूचना श्रद्धालुओं तक पहुंचा रहा है।

हर साल लाखों श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र
केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को मिलाकर चारधाम यात्रा उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा पर निकलते हैं लेकिन पहाड़ी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बारिश के मौसम में यात्रा कई बार बाधित करनी पड़ती है। प्रशासन का यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी कदम माना जा रहा है।

 

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