समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 जुलाई। संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा, लेकिन इससे पहले तीन सांसदों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जिसमें शिशिर अधिकारी, सुनील कुमार मंडल और के. रघु राम कृष्ण राजू का नाम शामिल है। लोकसभा सचिवालय ने तीनों को नोटिस जारी किया है। साथ ही उनसे दलबदल विरोधी कानून के तहत जवाब मांगा है। सचिवालय ने साफ किया कि पत्र मिलने के 15 दिन के अंदर तीनों सांसद जवाब दें, वरना सदस्यता को लेकर बिना उनकी बात सुने कोई फैसला कर लिया जाएगा।
दरअसल शिशिर अधिकारी बंगाल में टीएमसी के सांसद थे। विधानसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए जिसके बाद टीएमसी ने उनके खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की थी। सुनील कुमार मंडल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी से बीजेपी में शामिल हो गए थे. इनके खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई थी।
वही तीसरे सांसद के रघुराम कृष्ण राजू YSR कांग्रेस में है। राजू कथित तौर पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जिसके कारण लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक ने अध्यक्ष ओम बिरला से उन्हें अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया। YSRC ने आरोप लगाया कि राजू पार्टी के टिकट पर चुने गए थे, लेकिन वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे।
दलबदल विरोधी कानून
1985 में संविधान में जोड़े गए 10वीं अनुसूची को ही दलबदल विरोधी कानून कहा जाता है. लेकिन इसकी जरूरत 1967 के आम चुनावों के बाद ही राजनीतिक अस्थिरता के कारण महसूस की गई. उस वक्त विधायकों के दल बदलने के कारण कई सारी राज्य सरकारें गिर गई थीं. 1985 में किए गए संविधान संशोधन का उद्देश्य यह था कि सरकार की स्थिरता के लिए सांसदों और विधायकों के किसी खास राजनीतिक दलों के टिकट पर चुने जाने के बाद उन्हें दल-बदल से रोका जाए. इसके तहत यह प्रावधान किया गया कि दल बदल करने से संसद की सदस्यता गंवानी पड़ेगी और मंत्री बनने से रोका जाएगा।
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