समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण के दौरान एक शानदार, युवाओं और देश को उत्साहित करने वाली कविता पढ़ी. जैसा कि हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक कवि और लेखक हैं, जिस कारण वो कई मौकों पर खुद की लिखीं या फिर दूसरी की लिखीं कविताओं को पढ़ते और सुनाते हैं. 77वें स्वतंत्रता दिवस पर भी पीएम मोदी ने अपनी इस साहित्यिक परंपरा की आगे बढ़ाते हुए कविता पढ़ी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमृतकाल के पहले वर्ष पर जब मैं आपके साथ बात कर रहा हूं, तो मैं आपको पूरे विश्वास के साथ कहना चाहता हूं-
“चलता चलाता काल चक्र, अमृतकाल का भाल चक्र,
चलता चलाता काल चक्र, अमृतकाल का भाल चक्र,
सबके सपने, अपने सपने, पनपे सपने सारे,
वीर चले, धीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही, रीति नई, गति सही, राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम”
#WATCH | …"Chalta chalata kaal chakra, Amrit kaal ka bhaal chakra, sabke sapne apne sapne, panpe sapne saare, dheer chale veer chale, chale yuva humare, neeti sahi reeti naayi, gati sahi raah nayi, chuno chunauti seena taan, jag mein badhao desh ka naam…" PM Modi on 77th… pic.twitter.com/o6KUmBe0Mt
— ANI (@ANI) August 15, 2023
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के चार साल बाद वर्ष 2018 में जहां स्कूली बच्चों के लिए ‘एग्जाम वॉरियर्स’ किताब लिखी, वहीं अपनी पहली किताब ‘आपातकाल में गुजरात’ उन्होंने उस जमाने में लिखी थी, जब वह युवा थे और गुजरात में आपातकाल के खिलाफ भूमिगत संघर्ष कर रहे थे. यह वह दौर था जब नरेंद्र मोदी संघ से जुड़ हुए थे. इस किताब में नरेंद्र मोदी ने आपातकाल की दुश्वारियों का वर्णन किया है. यह किताब भी गुजराती में है और इसके हिंदी शीर्षक का अर्थ है ‘संघर्ष में गुजरात’ है.
कहा जाता है कि इस किताब को लिखने के लिए नरेंद्र मोदी ने खाना तक छोड़ दिया था. उन्होंने 23 दिन तक नींबू पानी पीकर इस किताब को लिखा था. इस किताब में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल के खिलाफ मोदी का निजी संघर्ष और किस्से हैं. उनकी इस किताब का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूभाई जसभाई पटेल ने किया था. बाल्यावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने वाले नरेंद्र मोदी ने संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर जिन्हें ‘गुरुजी’ कहा जाता है, उनके ऊपर भी एक किताब ‘श्री गुरुजी: एक स्वयंसेवक’ लिखी है. यह किताब कई भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है.
नेहरू, अटल और इंदिरा से ज्यादा किताबें हैं लिखीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक के प्रधानमंत्रियों में सबसे ज्यादा किताबें लिखी हैं. अटल बिहारी वाजपेयी ने जहां 11 किताबें लिखी थीं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किताबों की संख्या 23 ( इसमें अन्य भाषाओं में अनुवाद भी शामिल) है. वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किताबों की संख्या 14 से ज्यादा हैं. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 3 किताबें और उनकी बेटी एवं भारत की पांचवीं और आठवीं नंबर की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुल 4 किताबें लिखी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किताबों की पूरी लिस्ट https://www.narendramodi.in/category/ebooks पर उपलब्ध है. यहां उनकी लिखी मूल किताबें और उनके अनुवाद भी लिस्टिड हैं. उन्होंने एक कविता संग्रह ‘आंख आ धन्य छे’ भी लिखा है, जिसका हिंदी और संस्कृत में अनुवाद हो चुका है. इस किताब के संस्कृति अनुवाद का नाम ‘नयनम इदम धन्यम’ है.
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