स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से मोदी का संबोधन, राहुल-खड़गे ने इंदिरा भवन में फहराया तिरंगा, सियासी वार-पलटवार तेज
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 अगस्त: 79वें स्वतंत्रता दिवस पर देश आजादी के जश्न में डूबा रहा। राजधानी दिल्ली में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से 12वीं बार राष्ट्र को संबोधित किया, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंदिरा भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और राजधानी भर से आए पदाधिकारी मौजूद रहे। राहुल गांधी और खड़गे ने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं।
कांग्रेस का अलग समारोह, बीजेपी का हमला
कांग्रेस के अलग ध्वजारोहण कार्यक्रम पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“कांग्रेस प्रवक्ता ने टीवी बहस में पुष्टि की कि ‘एलओपी’ राहुल गांधी ने 15 अगस्त का लाल किला कार्यक्रम छोड़ दिया। यह राष्ट्रीय उत्सव था, लेकिन दुख की बात है कि पाकिस्तान प्रेमी राहुल गांधी, मोदी विरोध में देश और सेना का विरोध कर रहे हैं! शर्मनाक व्यवहार।”
बीजेपी का आरोप है कि राष्ट्रीय अवसर पर विपक्ष के नेता का आधिकारिक कार्यक्रम में न जाना, संवैधानिक परंपरा और सेना के सम्मान के खिलाफ है।
राहुल गांधी और खड़गे का संदेश
इंदिरा भवन में ध्वजारोहण के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पार्टी स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा, सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा,
“स्वतंत्रता का अर्थ है सत्य, समानता और भाईचारे पर आधारित राष्ट्र का निर्माण करना। यह विरासत हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों से मिली है और इसका सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है।”
पिछले साल भी था विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राहुल गांधी को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले साल उन्हें लाल किले के कार्यक्रम में पिछली पंक्ति में बैठाया गया था। कांग्रेस ने इसे अपमान बताया था, जबकि सरकार ने सफाई दी थी कि अग्रिम पंक्ति की सीटें ओलंपिक पदक विजेताओं को दी गई थीं।
उस समय राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान वीआईपी खंड की पांचवीं पंक्ति में बैठाया गया था, जबकि प्रोटोकॉल के मुताबिक विपक्ष के नेता को पहली पंक्ति में स्थान मिलता है।
सियासत और प्रतीकवाद
स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर अलग-अलग राजनीतिक कार्यक्रमों ने एक बार फिर से सियासी विभाजन को उजागर कर दिया है। लाल किले पर पीएम मोदी का राष्ट्रवादी संदेश और इंदिरा भवन में कांग्रेस का वैकल्पिक आयोजन, दोनों ही राजनीतिक प्रतीकवाद के संकेत हैं।
जहां बीजेपी इसे कांग्रेस की “देश विरोधी मानसिकता” बता रही है, वहीं कांग्रेस अपने कदम को स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत से जुड़ने का प्रयास बता रही है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.