भारत और अमेरिका विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में द्विपक्षीय सहयोग को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं- डॉ. जितेंद्र सिंह
स्वास्थ्य देखभाल, अंतरिक्ष, पृथ्वी और महासागर विज्ञान, ऊर्जा, उभरती प्रौद्योगिकियों और विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाया जाएगा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10अगस्त। प्रमुख (प्रीमियर) राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) के एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां नई दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ इस सहयोग को अगले स्तर तक ले जाने के तरीकों पर चर्चा की। यह प्रतिनिधिमंडल आजकल भारत की यात्रा पर है।
अन्य लोगों के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) में ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग (ओआईएसई) के प्रमुख (हेड) डॉ. केंद्र शार्प और चीफ ऑफ़ स्टाफ श्री ब्रायन स्टोन तथा ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग (ओआईएसई) ,एन एसएफ में ही कार्यक्रम निदेशक (प्रोग्राम डायरेक्टर) डॉ. ब्रिजेट तुरागा, भारत स्थित अमेरिकी दूतावास में आर्थिक, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मामलों के मंत्री सलाहकार ड्रू शुफ्लेटोव्स्की तथा अमेरिकी दूतावास में ही चीफ ऑफ एनवायरनमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिट विलियम हार्फोर्ड एवं संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ में निदेशक डॉ सेथुरमन पंचनाथन इस बैठक में शामिल हुए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों ने पहले ही ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर ली है और स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, पृथ्वी और महासागर विज्ञान, ऊर्जा, उभरती प्रौद्योगिकियों तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा में सहयोग करने जैसे क्षेत्रों में सहभागिता जारी है। मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि वैज्ञानिक खोज और तकनीकी के लिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच लंबे समय से संबंध और साझा हित बने हुए हैं और अब व्यापक वैश्विक कल्याण के लिए इन सम्बन्धों को मजबूत करने एवं उनका लाभ उठाने का समय आ गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (नेशनल साइंस फाउन्डेशन – एनएसएफ) के निदेशक और प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख डॉ. सेथुरमन पंचनाथन ने डॉ. जितेंद्र सिंह को आश्वासन दिया कि अब दो दिवसीय मंथन सत्र में चिह्नित किए गए विषयों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), जैव-प्रौद्योगिकी (बायोटेक्नोलॉजी), भूगर्भविज्ञान (जियोसाइंस) और अन्तरिक्ष भौतिकी (एस्ट्रोफिजिक्स) जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खोलने का भी वादा किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा वैज्ञानिक गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और वे प्रत्येक विषय में व्यक्तिगत रूप से गहरी रुचि लेते हैं। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से ही प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस के भाषण मे प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख वैज्ञानिक चुनौतियों पर विचार करके स्वच्छता, हाइड्रोजन मिशन, डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, स्वच्छ ऊर्जा, शुद्ध शून्य उत्सर्जन और स्टार्ट – अप्स जैसी परियोजनाओं को स्वीकृति दी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एनएसएफ प्रतिनिधिमंडल से कहा कि दोनों पक्षों को क्वांटम, मेटावर्स, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी, साइबर-भौतिक प्रणाली, उन्नत सामग्री और संचार प्रौद्योगिकी जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सार्थक, लक्षित, पूर्ण किए जाने योग्य अनुसंधान एवं विकास भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मंत्री महोदय ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतवंशी वैज्ञानिक विशेष रूप से तकनीकी नवाचार परिदृश्य में वैश्विक विमर्श को आकार देने में दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली प्रवासी समुदायों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संयुक्त रूप से अमेरिका और भारत के लिए आपसी हित के क्षेत्रों में गहन – प्रौद्योगिकी (डीप-टेक) स्टार्ट-अप्स की पहचान, उनके पोषण और उन्हें बढ़ावा देने की संभावनाओं को तलाश करना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रस्तावित एकीकृत डेटा प्रणाली (सिस्टम) के लिए एनएसएफ का समर्थन भी मांगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न संस्थानों द्वारा डेटा संग्रह अलग-अलग तरीकों से किया जा रहा है, लेकिन एकीकृत डेटा प्रणाली आंकड़ों के विश्लेषण (डेटा एनालिटिक्स) और उनसे संबंधित लाभों में बहुत दूर तक जाएगी । मंत्री महोदय ने कहा कि इस क्षेत्र में दीर्घकालिक क्षमता विकास के मामले में एनएसएफ – राष्ट्रीय विज्ञान और इंजीनियरिंग सांख्यिकी केंद्र (एनसीएसईएस) के साथ ज्ञान सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण होगी ।
डॉ जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष क्षेत्र में और मुख्य रूप से अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह भी याद किया कि नासा-इसरो (एनएएसए – आईएसआरओ) सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह को 2023 में प्रक्षेपित (लांच) किए जाने की उम्मीद है। मंत्री महोदय ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा साझेदारी अमेरिकी और भारतीय संस्थानों एवं छात्रों के बीच परस्पर संबंध स्थापित करने के लिए सम्पर्क (आउटरीच) का एक और आयाम रहा है। कई एसटीईएम-केंद्रित विश्वविद्यालयों की भागीदारी के साथ पिछले साल शिक्षा गोलमेज (राउंडटेबल) सम्मेलन आयोजित किया गया था।
इस वार्ता में भारत की ओर से केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए), प्रो. अजय कुमार सूद, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी, पीएसए कार्यालय में सलाहकार डॉ. प्रीति बंज़ल, सलाहकार डॉ. मोनोरंजन मोहंती, सलाहकार,, पीएसए कार्यालय में फेलो डॉ. सिंदुरा गणपति, , पीएसए कार्यालय में वैज्ञानिक ‘डी‘ श्री शिरीष पांडा और वरिष्ट विशेषज्ञ डॉ. बी. छगुन बाशा ने भाग लिया।
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