भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग में नया अध्याय: सिडनी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा – “हम साझेदार नहीं, सह-निर्माता बनें”
समग्र समाचार सेवा
सिडनी, 10 अक्टूबर: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में आयोजित पहले भारत–ऑस्ट्रेलिया रक्षा उद्योग व्यापार गोलमेज सम्मेलन (Defence Industry Business Round Table) को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया आज ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहाँ दोनों देश न केवल रणनीतिक साझेदार हैं, बल्कि “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि के सह-निर्माता” बनने की दिशा में अग्रसर हैं।
श्री सिंह ने कहा, “हमारा समग्र रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) समझौता 2020 में हुआ था, और आज यह संबंध नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है। यह केवल संवाद का मंच नहीं, बल्कि एक साझा संकल्प की घोषणा है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापार, उद्योग और नवाचार में स्वाभाविक सहयोगी बनें।”
साझा मूल्यों और विश्वास पर आधारित संबंध
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में दोनों देशों के बीच हाल के उच्च-स्तरीय संवादों का उल्लेख किया—जिनमें नवंबर 2024 का भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024 की 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता, और जून 2025 में ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री की भारत यात्रा शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया का संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों, विविधता और समान शासन प्रणालियों की साझा नींव पर टिका है। “हम दोनों कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस के सदस्य हैं, और हमारी लोकतांत्रिक परंपराएँ हमें स्वाभाविक साझेदार बनाती हैं,” उन्होंने कहा।
तीन स्तंभों पर टिका है द्विपक्षीय सहयोग
श्री सिंह ने कहा कि भारत–ऑस्ट्रेलिया संबंध तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित हैं –
- सरकार से सरकार का सहयोग,
- लोगों के बीच संपर्क, और
- व्यापारिक हितों का संगम।
उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा उद्योग के क्षेत्र में दोनों देशों के पास संयुक्त अनुसंधान, नवाचार और सह-उत्पादन की अपार संभावनाएँ हैं, जिन्हें अब साकार करने का समय है।
भारत की आर्थिक उपलब्धियाँ और रक्षा क्षेत्र की प्रगति
रक्षा मंत्री ने भारत की आर्थिक प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि “भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था भी। पिछला वित्तीय वर्ष भारत के रक्षा उत्पादन के लिए ऐतिहासिक रहा, जो ₹1.51 लाख करोड़ (लगभग 18 अरब डॉलर) तक पहुँच गया — यह पिछले वर्ष से 18% अधिक है। भारत अब लगभग 100 देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि भारत ने FDI नीति में 74% तक स्वचालित निवेश की अनुमति, ‘मेक इन इंडिया’ और PLI योजनाओं जैसे सुधारों के माध्यम से रक्षा उत्पादन और नवाचार के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया है।
उन्नत प्रौद्योगिकी में साझेदारी की संभावनाएँ
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया क्वांटम टेक्नोलॉजी, अंडरवॉटर सिस्टम और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखता है, जबकि भारत के पास वृहद निर्माण क्षमता, सॉफ्टवेयर दक्षता और मिसाइल व अंतरिक्ष तकनीक में महारत है।
उन्होंने बताया कि DRDO और ऑस्ट्रेलिया की Defence Science & Technology Group पहले से ही कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें क्वांटम टेक्नोलॉजी, AI, साइबर सुरक्षा और सूचना युद्ध शामिल हैं।
श्री सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत में सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए आमंत्रित किया और कहा कि “यह साझेदारी केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी परिवर्तनकारी सिद्ध होगी।”
साझा भविष्य की ओर कदम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया का रक्षा सहयोग एक परिभाषित मोड़ पर है। “रणनीतिक हितों का समागम, उद्योगों की ऊर्जा और नेतृत्व की दूरदृष्टि—यह सब हमें साथ मिलकर भविष्य गढ़ने का अवसर देता है,” उन्होंने कहा।
इस गोलमेज सम्मेलन का आयोजन भारत के रक्षा मंत्रालय, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग, न्यूलैंड ग्लोबल ग्रुप, और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनेस काउंसिल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इसमें दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी, राजनयिक, उद्योगपति और शोधकर्ता शामिल हुए।
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