विकास दर के मामले में no.1 बना भारत, संयुक्त राष्ट्र ने भी माना दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17मई। संयुक्त राष्ट्र ने भारत की विकास दर का अनुमान इस वर्ष के लिए 0.7 प्रतिशत बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है और इस तरह यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा के प्रमुख हामिद रशीद ने गुरुवार को कहा कि कम मुद्रास्फीति, मजबूत निर्यात और विदेशी निवेश में वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति में काफी कमी आई है। इसका मतलब है कि राजकोषीय स्थिति अन्य देशों की तरह बाधित नहीं है। रशीद ने कहा कि निर्यात “काफी मजबूत” रहा है और भारत अन्य पश्चिमी देशों से आने वाले निवेश से भी लाभान्वित हो रहा है, जबकि चीन में प्रवाह कम हो रहा है। उन्होंने कहा, भारत कई पश्चिमी कंपनियों के लिए एक वैकल्पिक निवेश गंतव्य बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत को लाभ पहुंचाने वाला एक अन्य कारक रूस के साथ तेल के लिए भारत की विशेष आयात व्यवस्था है, जिससे लागत कम हो रही है।

विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) रिपोर्ट में रोजगार पर भी सकारात्मक बात कही गई है। कहा गया है कि भारत में मजबूत विकास और उच्च श्रम भागीदारी के बीच श्रम बाजार संकेतकों में भी सुधार हुआ है। इसमें कहा गया है कि विशेष रूप से दक्षिण एशिया में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ी है।

अगले वर्ष के लिए भारत का विकास अनुमान 6.6 प्रतिशत पर बना हुआ है। डब्ल्यूईएसपी की रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले साल भारत की अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत और 2022 में 7.7 प्रतिशत बढ़ी। रिपोर्ट में इस साल विश्व अर्थव्यवस्था के अनुमान को भी संशोधित कर 2.7 प्रतिशत कर दिया गया है, जो जनवरी से 0.3 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है, ज्यादातर प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं बेरोजगारी को कम कर मंदी को बढ़ावा दिए बिना मुद्रास्फीति को कम करने में कामयाब रही हैं। भू-राजनीतिक जोखिम आर्थिक विकास को चुनौती देते रहेंगे। कुल मिलाकर विकासशील अर्थव्यवस्थाएं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं – 4.1 प्रतिशत की दर से।

हालांकि , डब्ल्यूईएसपी रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में विकास एक जैसा नहीं है। इसमें कहा गया है कि भारत, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसी बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं मजबूत घरेलू और बाहरी मांग से लाभान्वित हो रही हैं, जबकि कई अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई अर्थव्यवस्थाएं “लंबी राजनीतिक अस्थिरता”, उच्च उधार लागत और विनिमय दर के कारण पिछड़ रही हैं।

इस वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे यह दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इस वर्ष अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है, “संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था पहले से बेहतर हुई है।

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