भारत दुनिया में कंटेंट निर्माण का उपमहाद्वीप बन सकता है- अनुराग ठाकुर
फिल्म ‘शेरशाह’ के निर्देशक श्री विष्णुवर्धन और मुख्य अभिनेता श्री सिद्धार्थ मल्होत्रा उद्घाटन समारोह में शामिल हुए
समग्र समाचार सेवा
लेह, 25सितंबर। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को लेह, केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में सिंधु संस्कृति सभागार में सितारों से सजे पांच दिवसीय ‘पहले हिमालयन फिल्म महोत्सव’ का शुभारम्भ किया। पांच दिवसीय फिल्म महोत्सव भारत की स्वतंत्रता के 75 साल के उपलक्ष्य में हो रहे “आजादी का अमृत महोत्सव” के आयोजन का हिस्सा है। प्रधानमंत्री के ‘जन भागीदारी’ के आह्वान को ध्यान में रखते हुए, फिल्म महोत्सव में स्थानीय फिल्म निर्माताओं की सक्रिय भागीदारी होगी और 15 हिमालयी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाएगा।
समारोह में दर्शकों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार पर्वतीय राज्यों को एक नई पहचान देगी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री व मंत्रालय निरंतर इस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्यों की विविध संस्कृति है और यहां प्रदर्शन के लिए काफी कुछ है। इन राज्यों के युवाओं को अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए अवसरों की जरूरत है। सिनेमा सभी सांस्कृतिक विविधताओं को एक साथ लाने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती हैं। सिनेमा की दुनिया देश की संस्कृति को एक प्रमुख मंच उपलब्ध कराती है।
लद्दाख के लोगों के साहस पर बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्षेत्र के लोग हमारी सीमाओं की रक्षा में हमारे वीर जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। शेरशाह जैसी फिल्में कई पीढ़ियों तक हमारे जवानों के साहस को याद दिलाती रहेंगी, जो युद्ध में बहादुरी से लड़े थे। ऐसी फिल्में एक अहम योगदान हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
श्री अनुराग ठाकुर ने ओटीटी प्लेटफार्मों के प्रति बढ़ते आकर्षण के बारे में कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां पर ओटीटी प्लेटफार्मों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। यह उपलब्धि न केवल बड़े राज्यों के लिए बल्कि देश के छोटे प्रदेशों को भी आगे बढ़ने का एक अवसर प्रदान करती है और जल्द ही भविष्य में लद्दाख को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी पहचान मिलने वाली है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बेहतरीन कंटेंट की लोकप्रियता पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ता हुआ ओटीटी बाजार है और यह कंटेंट ही लोगों को ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर खूब आकर्षित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरफ लोगों को आकर्षित करने की शक्ति ओटीटी कंटेंट में निहित है और भारत, दुनिया में इसके निर्माण के लिए उपमहाद्वीप बन सकता है। इसके लिये हमें गुणवत्तापूर्ण कंटेंट तैयार करने की आवश्यकता है। श्री ठाकुर ने कहा कि कई अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉकबस्टर के लिए पोस्ट-प्रोडक्शन का काम भारत में किया गया था और गेमिंग तथा विजुअल ग्राफिक्स सेक्टर के साथ-साथ यह क्षेत्र विकास के लिये एक बड़ा प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
श्री ठाकुर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को एक फिल्म प्रशिक्षण संस्थान से जोड़ने की मांग लगातार की जा रही है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा की इस विचार को जल्द ही लागू किया जाएगा।
उद्घाटन समारोह के दौरान परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित फिल्म शेरशाह को भी इसके निर्देशक श्री विष्णुवर्धन और मुख्य अभिनेता श्री सिद्धार्थ मल्होत्रा की उपस्थिति में प्रदर्शित किया गया।
बता दें कि इस फिल्म समारोह के ‘कॉम्पिटिशन सेक्शन’ में लघु फिल्मों और लघु वृत्तचित्रों को भी आमंत्रित किया गया है।
इस फिल्म समारोह के दौरान लद्दाख क्षेत्र के अनूठे व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाला एक फूड फेस्टिवल, लद्दाख की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक शो और एक संगीत उत्सव भी आयोजित किया जाएगा।
पांच दिवसीय फिल्म महोत्सव 24 सितंबर से शुरू हो गया है और यह 28 सितंबर, 2021 तक जारी रहेगा। यह फिल्म महोत्सव भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फिल्म समारोह निदेशालय के सहयोग से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के स्थानीय प्रशासन द्वारा आयोजित किया गया है।
भारत का हिमालयी क्षेत्र अपने अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य की ओर दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं को निरंतर आकर्षित करता रहा है। इस क्षेत्र के अद्वितीय भौगोलिक सौंदर्य के साथ-साथ इसके स्थानीय निवासियों, पारंपरिक कौशल और विभिन्न तरह के पारंपरिक पेशों, इत्यादि का भी व्यापक रूप से वर्णन किया जाता रहा है। इस संदर्भ में यह फिल्म महोत्सव स्थानीय फिल्म निर्माताओं को अपनी-अपनी गाथाओं को बड़ी संख्या में दर्शकों के समक्ष पेश करने का अवसर प्रदान कर रहा है।
‘हिमालयन फिल्म महोत्सव’ के दौरान एक हिमालयी फिल्म जगत को संस्थागत स्वरूप देने की भी परिकल्पना की गई है जिसके अत्यंत सकारात्मक नतीजे भारत के हिमालयी हिस्सों में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में देखने को मिलेंगे।
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