संकट में कूटनीति: अफ्रीका के दिल में फैले Mpox के बीच भारत का डेलीगेशन संकट में

समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली 25 मई :भारत की बहुप्रतीक्षित वैश्विक कूटनीतिक यात्रा, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए शुरू की गई थी, अब एक गंभीर स्वास्थ्य संकट में फँस  गई है। सेंट्रल अफ्रीका में तेजी से फैलते Mpox वायरस के कारण, ग्रुप 4 डेलीगेशन, जो इस समय कांगो गणराज्य में है, सीधे खतरे की चपेट में है।

इस ग्रुप का नेतृत्व डॉ. श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) कर रहे हैं। इसमें शामिल हैं — बांसुरी स्वराज (भाजपा), मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), अतुल गर्ग (भाजपा), सुमन कुमारी मिश्रा (भाजपा), पूर्व सांसद एस.एस. अहलूवालिया, और वरिष्ठ राजनयिक राजदूत सुजन चिनॉय। यह प्रतिनिधिमंडल आगे सिएरा लियोन और लाइबेरिया की यात्रा करने वाला था, लेकिन अब उनकी यात्रा पर mpox वायरस का खतरा मंडराता  दिखाई दे रहा  है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की External Situation Report #52 (मई 2025) के अनुसार, Mpox वायरस का सामुदायिक स्तर पर प्रसार युगांडा, रवांडा, केन्या, ज़ाम्बिया, तंजानिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन में हो रहा है। जहां Group 4 मौजूद है — डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC)

वो इस समय Mpox का वैश्विक केंद्र बन चुका है।

Clade Ia और Clade Ib नामक वायरस स्ट्रेन यहां तेजी से फैल रहे हैं, और राजधानी किन्शासा में तो मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण के साथ वायरस में म्युटेशन तक देखे जा रहे हैं।

रवांडा में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, जबकि लाइबेरिया में सीमित खुराकें दी जा रही हैं। इससे साफ है कि अफ्रीकी देशों में संक्रमण पर नियंत्रण बेहद कमजोर है। कांगो गणराज्य, जहां Group 4 अभी मौजूद है, वहां आइसोलेशन और ट्रैकिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिससे यह मिशन बेहद जोखिमपूर्ण बन गया है।

विदेश मंत्रालय (MEA) और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्णय पर निर्भर है  आपातकाल में , और Group 4 की यात्रा के रूट को परिवर्तित किया जाना चाहिए अथवा उसे फिलहाल वापस बुलाना बेहतर होगा विदेश मंत्रालय जो भी निर्णय ले ।

भारत की कूटनीति को वैश्विक मंच पर मजबूती देने की यह कोशिश, कुछ दिनों के लिए टाली  जा सकती है ।

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