समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 जुलाई। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत में हरित हाइड्रोजन निर्यातक बनने की क्षमता है।
ग्रीन हाइड्रोजन 2023 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को आज यहाँ नई दिल्ली में संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग 2 अरब 40 करोड़ डॉलर के बजटीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के शुभारंभ को मंजूरी दे दी है और यह 2070 में सकल शून्य (नेट ज़ीरो) डी-कार्बोनाइजेशन करने की कठिन चुनौतियों से निपटने के भारत के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले दो वर्षों में किए गए उन श्रमसाध्य प्रयासों के बारे में बताया, जब प्रधानमंत्री ने हरित हाइड्रोजन के लिए एक समर्पित मिशन बनाने की भारत के मन्तव्य की घोषणा की थी और जिसकी परिणति इस वर्ष जनवरी में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के रूप में हुई।
मंत्री महोदय ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए वैश्विक आख्यान में सबसे आगे रहा है और हमारे ऐतिहासिक या यहां तक कि हमारे ऐतिहासिक या वर्तमान प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के परिप्रेक्ष्य में अन्य देश जो भी प्रयास करेंगे उससे कहीं अधिक हम कर चुके हैंI
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत न केवल अपने प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों और पुनरुत्पादन में विश्व की सबसे कम लागत में से एक के लाभों के आधार पर बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र और हाइड्रोजन उत्पादन, परिवहन, इलेक्ट्रोलाइज़ के विनिर्माण, समर्थन बुनियादी ढांचे, ईंधन सेल विद्युत् वाहनों (ईवी), भंडारण तथा उपयोग के क्रॉस-कटिंग क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए डिजाइन किए गए ढांचे के आधार पर एक प्रमुख वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सकारात्मक तालमेल देखना अद्भुत है और उन्हें पूरी आशा है कि यह ग्रीन हाइड्रोजन की संभावनाओं के विस्तार में आवश्यक अनुसंधान के हर क्षेत्र में प्रभावी सहयोग में परिवर्तित होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि हाइड्रोजन मिशन में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से रोजगार सृजन की अत्यधिक संभावनाएं हैं क्योंकि अत्याधुनिक विज्ञान क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगभग एक लाख स्टार्टअप और 100 यूनिकॉर्न के साथ भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर उभरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टार्टअप प्रणाली ने बैंकिंग वित्त के सक्रिय समर्थन का उपयोग करने के लिए एक तंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक मसौदा अनुसंधान एवं विकास रोडमैप जारी किया गया है और उन्होंने इस उपलब्धि के लिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय सूद और उनकी टीम तथा नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को धन्यवाद दिया। इस मिशन के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास के लिए रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार सहभागिता (स्ट्रैटेजिक हाइड्रोजन इनोवेशन पार्टनरशिप या एसएचआईपी) नामक एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी ढांचे की सुविधा प्रदान की जाएगी। मंत्री महोदय ने कहा कि इस फ्रेमवर्क में उद्योग और सरकारी संस्थानों के योगदान के साथ एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास कोष बनाना शामिल होगा।
इस मिशन के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का प्रयास करेगा। साथ ही कंसोर्टियम-आधारित दृष्टिकोण और प्रत्येक संस्थान / उद्योग की क्षमता का लाभ उठाने को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मंत्री महोदय ने कहा कि भारत भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र (बीएआरसी), भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और कई अन्य संस्थानों की अंतर्निहित शक्तियों एवं तकनीकी अनुभवों का भी लाभ उठाएगा और विश्वास व्यक्त किया कि इसमें कुछ पथप्रदर्शक अनुसंधान देखने को मिलेंगे जो इस अभ्यास से सामने आएंगे और बहुत बड़ा योगदान देंगे। साथ ही इस दशक और अगले दशक में घरेलू हरित हाइड्रोजन विनिर्माण क्षेत्र पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह देखना उत्साहजनक है कि इस सम्मेलन ने सभी हितधारकों को एक साथ आने और जलवायु परिवर्तन के रूप में मानवता के सामने आने वाली महान वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने और हरित हाइड्रोजन के माध्यम से कठिन डी-कार्बोनाइजिंग के लिए कठिन क्षेत्रों को समाप्त करने के सबसे आशाजनक उपायों में से एक पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।
वक्ताओं की ऐसी विविधता तकनीकी विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के साथ-साथ सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित नवप्रवर्तकों और ऑफटेक उद्योगों का एक उत्कृष्ट मिश्रण थी और इसने उद्योग के साथ अकादमिक सहयोग के लिए ऐसे मंच बनाने की अनुकरणीय आवश्यकता को सामने रखा।
प्रोफेसर अजय सूद ने अपने संबोधन में कहा कि हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन यहां दीर्घावधि के लिए आई है और बताया कि अब तक 16 देशों ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन योजनाओं की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इस मिशन की विफलता को कम करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है और इसे तकनीकी, वाणिज्यिक, नियामक, उत्पाद एकीकरण और सामग्री (लॉजिस्टिक्स) के पांच दृष्टिकोणों से देखा जाना चाहिए।
Comments are closed.