समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 दिसंबर। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और संघर्ष ने दक्षिण एशिया में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सीमा विवाद और तालिबान सरकार के साथ पाकिस्तान के बिगड़ते संबंधों ने इस क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा दिया है। इन घटनाओं पर भारत बारीकी से नजर रख रहा है और अपनी कूटनीतिक और सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने में जुटा है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष: क्या है मुद्दा?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद डूरंड रेखा को लेकर है, जो दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा मानी जाती है। तालिबान सरकार इस रेखा को मान्यता नहीं देती और इसे औपनिवेशिक काल की जबरन खींची गई सीमा मानती है।
पाकिस्तान, जिसने तालिबान सरकार को समर्थन दिया था, अब सीमा पर लगातार हमलों और आतंकवादी गतिविधियों का सामना कर रहा है। हाल ही में, दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी और संघर्ष ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
भारत की रणनीति: क्यों है यह महत्वपूर्ण?
- क्षेत्रीय स्थिरता का सवाल: भारत हमेशा से एक स्थिर और शांतिपूर्ण दक्षिण एशिया का पक्षधर रहा है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से यह संतुलन बिगड़ सकता है।
- सुरक्षा चिंताएं: अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद से वहां से उग्रवाद और आतंकवाद के बढ़ने की संभावना है। भारत अपनी सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर सतर्क है।
- चीन-पाकिस्तान गठजोड़: पाकिस्तान और चीन की नजदीकियां भारत के लिए पहले से ही एक चिंता का विषय हैं। अफगानिस्तान में अस्थिरता चीन को इस क्षेत्र में अपने हित साधने का मौका दे सकती है।
भारत की तैयारी: क्या हैं मुख्य कदम?
- कूटनीतिक प्रयास:
भारत तालिबान सरकार के साथ सीधे संपर्क में न रहते हुए अफगानिस्तान की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान में स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। - सुरक्षा बलों की सतर्कता:
भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां सीमा पर किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को और मजबूत किया गया है। - मानवीय सहायता:
अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, भारत ने वहां खाद्य और चिकित्सा सहायता भेजने का सिलसिला जारी रखा है। इससे भारत ने अपनी सकारात्मक छवि बनाए रखी है। - रणनीतिक साझेदारी:
भारत मध्य एशिया के देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है। इन देशों के साथ रक्षा और कूटनीतिक सहयोग बढ़ाकर भारत क्षेत्र में अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है।
क्या होगा भारत पर असर?
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का सीधा असर भारत पर नहीं पड़ सकता, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह भारत के लिए एक चुनौती बन सकता है।
- आतंकवाद का खतरा: अफगानिस्तान से संचालित आतंकवादी गुट भारत के लिए खतरा बन सकते हैं।
- शरणार्थी संकट: अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति से शरणार्थी संकट उत्पन्न हो सकता है, जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ेगा।
- चीन की बढ़ती मौजूदगी: अफगानिस्तान में अस्थिरता का फायदा उठाकर चीन अपने आर्थिक और सामरिक हित साध सकता है।
निष्कर्ष
भारत पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच बढ़ते संघर्ष पर बारीकी से नजर बनाए हुए है और अपनी कूटनीतिक और सुरक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखना भारत के लिए बेहद जरूरी है, और इसके लिए वह हर संभव कदम उठा रहा है। अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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