सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निजी और विदेशी बैंकों को दे रहे कड़ी टक्कर-पीयूष गोयल

भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से निवेश, नवाचार और एमएसएमई को मिलेगा बड़ा बढ़ावा: वाणिज्य मंत्री

    • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब निजी और विदेशी बैंकों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धी
    • भारत-न्यूजीलैंड एफटीए विकसित देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी का संकेत
    • न्यूजीलैंड ने 15 वर्षों में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रतिबद्धता जताई
    • मुद्रा और पीएम स्वनिधि योजनाओं से एमएसएमई की ऋण पहुंच में उल्लेखनीय विस्तार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 23 दिसंबर:केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब निजी और विदेशी बैंकों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और देश की विकास यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे नई दिल्ली में एमएसएमई बैंकिंग उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि समय पर और पर्याप्त ऋण की उपलब्धता सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के विकास के लिए आवश्यक है। बैंकिंग प्रणाली ने छोटे उद्यमियों को संस्थागत वित्त उपलब्ध कराकर उन्हें अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भरता से बाहर निकाला है, जिससे वे अपने व्यवसाय का विस्तार कर पा रहे हैं।

दिन में पहले घोषित भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित देशों के साथ किया गया सातवां एफटीए है। यह समझौता केवल बाजार पहुंच तक सीमित नहीं है, बल्कि तकनीकी सहयोग, नवाचार और निवेश को भी बढ़ावा देता है।

पीयूष गोयल ने बताया कि न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, जो पिछले 25 वर्षों में किए गए निवेश की तुलना में बड़ा बदलाव है। समझौते में निवेश शर्तें पूरी न होने पर रियायतें वापस लेने जैसे प्रावधान शामिल हैं, जिससे यह समझौता लागू करने योग्य बनता है।

उन्होंने कहा कि इस एफटीए से विनिर्माण, निर्यात और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सबसे अधिक लाभ एमएसएमई क्षेत्र को होगा। साथ ही यह समझौता पूरी तरह महिला अधिकारियों की टीम द्वारा तय किया गया पहला ऐसा समझौता है।

मंत्री ने मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि इन पहलों से महिला उद्यमियों और रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण पहुंच मिली है। उन्होंने बैंकों से उदार और जिम्मेदार ऋण वितरण का आह्वान किया और कहा कि एमएसएमई और बैंक भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की संयुक्त यात्रा के साथी हैं।

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