भारत-पाकिस्तान DGMO वार्ता में बनी सहमति: फायरिंग पर रोक और सीमा पर सेना कम करने के कदमों पर विचार

GG News Bureau

नई दिल्ली, 12 मई :भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच आज एक महत्वपूर्ण वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों ने सीमा पर शांति बहाल करने और सैन्य तनाव कम करने पर सहमति जताई। यह बातचीत पहले से निर्धारित समय 12 बजे के बजाय शाम 5 बजे हॉटलाइन के माध्यम से संपन्न हुई।

इस वार्ता की शुरुआत पाकिस्तान के DGMO द्वारा भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को कॉल करने से हुई। इस पहल के माध्यम से दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही तनावपूर्ण स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की दिशा में कदम बढ़ाया।

भारतीय सेना द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि भविष्य में किसी भी प्रकार की फायरिंग या आक्रामक सैन्य गतिविधि से परहेज किया जाएगा। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सीमा और अग्रिम क्षेत्रों में सैन्य उपस्थिति को कम करने के लिए तात्कालिक और व्यावहारिक कदमों पर विचार किया जाएगा।

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में भारत की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकियों के ठिकानों पर कार्रवाई की गई थी। उस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनीतिक तनाव काफी बढ़ गया था।

DGMO स्तर की यह बातचीत दोनों देशों के बीच सैन्य चैनलों के जरिए तनाव कम करने की एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संवाद भले ही सामरिक हो, लेकिन इससे यह संकेत भी मिलता है कि पाकिस्तान मौजूदा दबाव के बीच सैन्य स्तर पर पीछे हटने को तैयार दिख रहा है।

सूत्रों के अनुसार, भारत ने वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि शांति तभी टिकाऊ हो सकती है जब सीमा पार से आतंकवाद को पूर्णतः रोका जाए। वहीं पाकिस्तान की ओर से सैन्य टकराव को कम करने की इच्छा जाहिर की गई।

हालांकि सरकार की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक संयुक्त बयान नहीं जारी किया गया है, लेकिन रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस वार्ता को ‘संवेदनशील लेकिन आवश्यक संवाद‘ बताया है।

इस बातचीत से यह संकेत भी मिला है कि कूटनीतिक प्रयासों के समानांतर, भारत अपनी सैन्य सतर्कता बनाए रखते हुए वार्ता का रास्ता खुला रख रहा है।

निष्कर्ष:
DGMO स्तर की यह बातचीत भले ही सैन्य प्रकृति की हो, लेकिन इसमें हुई सहमति आने वाले समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने में एक अहम भूमिका निभा सकती है। अब यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान इस समझौते का पालन किस हद तक करता है और भारत इस पर किस प्रकार की निगरानी रखता है।

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