भारत — विश्व की फार्मेसी: भारतीय दवाओं की वैश्विक पहुँच को मिला नया आयाम

समग्र समाचार सेवा
बीजिंग/नई दिल्ली,4 अप्रैल।
“भारत – विश्व की फार्मेसी ” के रूप में अपनी साख को और मजबूती देते हुए, भारत के वाणिज्य दूत प्रतीक माथुर (@PratikMathur1) ने चीन की प्रमुख फार्मा आयातक कंपनी चीनोफार्मा लिमिटेड (Chinopharma Ltd) के महाप्रबंधक यू टाओ से हाल ही में एक महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस बैठक में भारतीय दवा उत्पादों की क्षेत्रीय मौजूदगी को और बेहतर बनाने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने पर व्यापक चर्चा हुई।

भारत विश्व भर में अपनी दवा उत्पादक क्षमता, गुणवत्ता और किफायती मूल्य के लिए जाना जाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान जब वैश्विक स्वास्थ्य आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई थी, तब भारत ने कई देशों को जीवन रक्षक दवाएं और वैक्सीन उपलब्ध कराकर “विश्व की फार्मेसी” के रूप में अपनी भूमिका सिद्ध की थी।

व्यापारिक सहयोग को लेकर सकारात्मक संकेत
चीनोफार्मा लिमिटेड, जो भारतीय फार्मा उत्पादों के क्षेत्र में एक प्रमुख आयातक और बाज़ार प्रतिनिधि कंपनी है, के साथ यह बातचीत कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। वाणिज्य दूत प्रतीक माथुर और यू टाओ के बीच हुई इस बैठक में चीन और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की दवा कंपनियों की पैठ को और मजबूत करने के रास्तों पर विमर्श हुआ।

चीन और उसके पड़ोसी देशों में भारत की जेनेरिक दवाओं, API (Active Pharmaceutical Ingredients) और विशेष दवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है। इस पृष्ठभूमि में Chinopharma जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी भारत को रणनीतिक बढ़त दिला सकती है। बैठक में वितरण नेटवर्क, नियामक सहयोग और दीर्घकालिक साझेदारी पर भी विचार किया गया।

भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री न केवल घरेलू स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का भी अहम हिस्सा बन चुकी है। प्रतीक माथुर और यू टाओ की यह मुलाकात दर्शाती है कि भारतीय दवाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य पर वैश्विक भरोसा लगातार बढ़ रहा है। आने वाले समय में यह सहयोग भारत को फार्मा क्षेत्र में और ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

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