सिंधिया बोले, डाक नेटवर्क में रिकॉर्ड विस्तार और तेज़ आधुनिकीकरण

11 वर्षों में 10,170 नए डाकघर, 405 करोड़ का निवेश; पूरे तंत्र को तेज़ व आधुनिक बनाने की सरकारी पहल

  • देश में 1.64 लाख डाकघर और 2.78 लाख ग्रामीण डाक सेवक सक्रिय
  • उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 4,903 नए डाकघर बनाए गए
  • अनबैंक्ड गाँवों में स्वीकृत 5,746 में से 97% डाकघर शुरू
  • संचालन पुनर्गठन व स्वचालन से डाक वितरण होगा तेज़

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 दिसंबर: केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र में बताया कि सरकार भारतीय डाक नेटवर्क को तेज़ी से विस्तार दे रही है और पूरे तंत्र को आधुनिक रूप में बदल रही है। उन्होंने कहा कि भारत का डाक विभाग आज दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिसमें 1.64 लाख डाकघर और 2.78 लाख ग्रामीण डाक सेवक लगातार लोगों तक सेवाएँ पहुँचा रहे हैं।

सिंधिया ने कहा कि ग्रामीण डाक सेवक सिर्फ़ डाक नहीं पहुँचाते, वे लोगों की भावनाएँ एक-दूसरे तक ले जाने का काम भी करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में डाक विभाग में कई बड़े बदलाव किए गए हैं।

पिछले वर्षों में-

  • उग्रवाद प्रभावित इलाकों में 4,903 नए डाकघर बनाए गए।
  • 5,746 अनबैंक्ड गाँवों के लिए स्वीकृत डाकघरों में से 97% पहले ही शुरू कर दिए गए।
  • कुल 10,170 नए डाकघर देशभर के नेटवर्क में जोड़े गए।
  • भवन निर्माण और सुधार पर ₹405 करोड़ खर्च किए गए, जिनमें 49 ऐतिहासिक डाकघर भी शामिल हैं।

मंत्री ने कहा कि अब भी 25,000 पुराने डाकघरों के नवीनीकरण का काम बाकी है, जिसके लिए और धन की ज़रूरत होगी।

डाक सेवा को भविष्य के लिए तैयार करने की योजना

सिंधिया ने बताया कि डाक विभाग एक बड़े संचालन सुधार (BPR) पर काम कर रहा है। इससे पहले मील, मध्य मील और अंतिम मील तीनों चरणों की डाक सेवाएँ तेज़ होंगी और लोगों तक समय पर पहुँचेंगी।

उन्होंने यह भी कहा कि विभाग अब स्वचालन अपना रहा है और दुनिया की बेहतरीन प्रणालियों से सीखकर अपने नेटवर्क को और मज़बूत बना रहा है।

सरकार का उद्देश्य है कि भारतीय डाक को एक आधुनिक, भरोसेमंद और तकनीक-संचालित वितरण तंत्र बनाया जाए, जो करोड़ों नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान कर सके।

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