भारत, रूस और चीन की साझेदारी से उभर रही है नई वैश्विक व्यवस्था : रूसी प्रतिनिधि

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 सितंबर: वियना में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए रूस के स्थायी प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने कहा है कि भारत, रूस और चीन के बीच तेजी से बढ़ती साझेदारी वैश्विक परिदृश्य को बदल रही है। उन्होंने इसे एक “गुणात्मक रूप से नए अंतरराष्ट्रीय प्रणाली” के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम बताया।

उल्यानोव का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अमेरिका के टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियों के कारण दबाव में है। उन्होंने एक पोस्ट साझा किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नजर आ रहे थे।

मोदी–शी मुलाकात के बाद आया बयान

यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सामने आई है। दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की और द्विपक्षीय संबंधों में अब तक हुई सकारात्मक प्रगति को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना भारत-चीन संबंधों के लिए बेहद आवश्यक है। उन्होंने पिछले वर्ष हुई सफल disengagement का उल्लेख किया और मौजूदा समय में सीमा पर कायम शांति को संतोषजनक बताया।

विकास में साझेदार, प्रतिद्वंद्वी नहीं

वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन एक-दूसरे के विकास में साझेदार हैं, प्रतिकूल नहीं। मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेने देना चाहिए और सहयोग के अवसरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

इसके साथ ही लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने पर भी सहमति बनी। सीधी उड़ानों की सुविधा और वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी को 2026 में भारत में आयोजित होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया। इस पर शी जिनपिंग ने न केवल आमंत्रण स्वीकार किया, बल्कि भारत की BRICS अध्यक्षता के लिए चीन का समर्थन करने की बात भी कही।

नई वैश्विक व्यवस्था की ओर संकेत

रूसी प्रतिनिधि उल्यानोव का कहना है कि भारत, रूस और चीन की त्रिपक्षीय साझेदारी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नई दिशा दे सकती है। उन्होंने इशारा किया कि जब अमेरिका टैरिफ और आयात-निर्यात नीतियों के जरिए वैश्विक व्यापार में अस्थिरता पैदा कर रहा है, तब एशियाई महाशक्तियों की यह एकजुटता वैश्विक आर्थिक संतुलन के लिए कारगर हो सकती है।

उल्यानोव ने कहा कि आज की दुनिया में साझेदारी और सहयोग ही शांति और स्थिरता की गारंटी दे सकते हैं। भारत, रूस और चीन न केवल एशिया की, बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था की धुरी बनकर उभर रहे हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि मोदी–शी मुलाकात और उल्यानोव का बयान केवल औपचारिक कूटनीति नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि आने वाले वर्षों में भारत-चीन-रूस का त्रिकोणीय सहयोग नई वैश्विक शक्ति संरचना का हिस्सा बन सकता है। यदि यह सहयोग स्थिरता और विश्वास पर आधारित रहा, तो यह दुनिया में संतुलित और बहुध्रुवीय व्यवस्था स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा।

 

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