भारत-रूस रक्षा साझेदारी को मिली नई ऊर्जा, चिंगदाओ में हुई ऐतिहासिक वार्ता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जून: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान चिंगदाओ ने एक बार फिर वैश्विक कूटनीति के केंद्र की भूमिका निभाई। 26 जून को भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री श्री आंद्रे बेलौसोव के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता ने भारत-रूस रक्षा सहयोग को नई दिशा दी।

भू-राजनीतिक चुनौतियों पर साझा दृष्टिकोण

दोनो नेताओं के बीच बैठक में वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों पर गंभीर चर्चा हुई। बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और रूस की साझेदारी की स्थायित्व और प्रासंगिकता पर बल देते हुए, बेलौसोव ने भारत के साथ संबंधों को “समय की कसौटी पर खरे” बताया। उन्होंने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर भारत के साथ गहरी संवेदना और एकजुटता भी प्रकट की

ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में रक्षा साझेदारी पर फोकस

बैठक ऐसे समय पर हुई जब भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचों को समाप्त करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की है। इस संदर्भ में रूस ने न केवल भारत की स्थिति को समझा, बल्कि सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ मजबूत सहयोग का संकेत भी दिया।

रक्षा उत्पादन और तकनीकी आपूर्ति पर अहम सहमति

राजनाथ सिंह और बेलौसोव के बीच चर्चा का मुख्य केंद्र रक्षा उत्पादन को गति देना और रणनीतिक उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करना रहा। इसमें एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी, एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का अपग्रेडेशन, वायु से वायु में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियाँ और आधुनिक हवाई प्लेटफॉर्म शामिल रहे।

बैठक में इन परियोजनाओं की समयसीमा तय करने पर भी विचार हुआ, जिससे दोनों देशों की रणनीतिक तत्परता और आपसी विश्वास को मजबूती मिलेगी।

 

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