समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अगस्त: भारत और रूस ने औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दोनों देशों ने एल्यूमिनियम, उर्वरक, रेलवे और खनन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारत‑रूस कार्य समूह की 11वीं बैठक में संभव हुआ, जो द्विपक्षीय आर्थिक एवं तकनीकी साझेदारी को नई दिशा देगा।
संयुक्त प्रयास : आर्थिक सहयोग की एक नई शुरुआत
इस आला बैठक में अमरदीप सिंह भाटिया, सचिव (उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग), और रूसी पक्ष से अलेक्सी ग्रुज़देव, उद्योग और व्यापार उप मंत्री, ने सह-अध्यक्षता की। दोनों पक्षों ने पहला कार्य क्षेत्र—एल्यूमिनियम उत्पादन और प्रौद्योगिकी—में गहरे हस्तक्षेप का स्वागत किया। fertilizers (उर्वरक) और रेलवे परिवहन में विस्तार की भूमिका पर भी जोर दिया गया।
खनन एक्सप्लोरेशन, औद्योगिक व घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन, कार्बन फाइबर प्रौद्योगिकी, एडिटिव निर्माण, एडवांस्ड वायु सुरंग, और पिस्टन इंजन उत्पादन सहित कई नवीन क्षेत्रों पर भी विचार विमर्श हुआ।
आधुनिक क्षेत्रों में सहयोग से नई संभावनाएं
बैठक में गंभीर विचार-विमर्श हुआ कि कैसे एयरोस्पेस, rare-earth minerals, underground coal gasification, और 3D प्रिंटिंग जैसी क्षेत्रों में मिलकर काम किया जा सकता है। इससे न सिर्फ उद्योग को आधुनिक बनाया जाएगा, बल्कि दोनों देशों की आपूर्ति श्रृंखला भी मजबूत होगी।
उदाहरण के तौर पर, रेलवे ट्रांसपोर्ट और एल्यूमिनियम उत्पादन में तकनीकी साझा ज्ञान से लागत कम और गुणवत्ता बेहतर होने की संभावना है। साथ ही, उर्वरक खंड में दक्षता बढ़ाने से भारतीय कृषि को भी लाभ पहुँचेगा।
प्रतिनिधियों का उत्साह : औद्योगिक कायाकल्प पर सहमति
इस सत्र में लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे। समापन समारोह में दोनों सह-अध्यक्षों ने 11वीं सत्र प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जिससे औद्योगिक एवं आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाये रखने की प्रतिबद्धता रेखांकित हुई।
दृष्टि और प्रभाव: आर्थिक सहायता का आधार मजबूत
यह समझौता भारत‑रूस सहयोग में सिर्फ विस्तार नहीं, बल्कि गुणवत्ता, विविधीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक बदलाव लाएगा। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त अनुसंधान से भारत न सिर्फ उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक अधिक सशक्त प्राधिकार भी होगा।
अंततः यह पहल भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं के अनुरूप है—जिसमें कृषि, उद्योग, हार्ड‑इन्फ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी नवाचार शामिल हैं। इसमें युवा, किसान और ग्रामीण श्रमिकों के लिये सबल अवसर हैं।
भारत और रूस द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रोटोकॉल की मदद से औद्योगिक सहयोग को नए आयाम मिलेंगे। यह साझेदारी न सिर्फ उत्पादन क्षमताओं में सुधार करेगी, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती और आर्थिक सुरक्षा की नींव रखेगी। सतत प्रगति, तकनीकी मार्गदर्शन और रणनीतिक समर्थन—इन पहलुओं में यह कदम निर्णायक साबित होगा।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.