“भारत ने एक अनुकरणीय प्रो-टीकाकरण कोविड प्रबंधन मॉडल स्थापित किया जिसके परिणामस्वरूप 3.4 मिलियन लोगों की जान बची”:डॉ. मनसुख मांडविया
डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला 2023 में 'इंडियाज वैक्सीन ग्रोथ स्टोरी' का विमोचन किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,4 मार्च। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला 2023 में आज सज्जन सिंह यादव, अपर सचिव, भारत सरकार द्वारा लिखित पुस्तक ‘इंडियाज वैक्सीन ग्रोथ स्टोरी – फ्रॉम काउपॉक्स टू वैक्सीन मैत्री’ का विमोचन किया। पुस्तक कोविड-19 टीकों के विकास, उत्पादन और वितरण में भारत की प्रभावशाली उपलब्धि पर विस्तार से बताती है। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
डॉ. मांडविया ने भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और देश भर के उत्कृष्ट स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रति विश्वास की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संयोजन ने भारत को ऐसी उपलब्धि हासिल करने के लिए अकल्पनीय चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जैसा अद्भुत कार्य किसी और देश ने इससे पहले नहीं किया था, जिससे न केवल अपने देश की जरूरतें पूरी की गईं, बल्कि सही समय पर दुनिया भर को जीवन रक्षक टीकों की आपूर्ति की। स्वास्थ्य पेशेवरों के अटूट समर्पण की सराहना करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि “भारत ने दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण अभियान के एक हिस्से के रूप में 2.2 बिलियन खुराक दी, बिना किसी कमी के पूरे देश में 3.4 मिलियन लोगों की जान बचाई गई।” मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जब अन्य देश वैक्सीन को लेकर असमंजस की स्थिति में थे, भारत ने एक अनुकरणीय प्रो-टीकाकरण कोविड प्रबंधन मॉडल स्थापित किया।
डॉ. मांडविया ने कहा, “मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि अनुसंधान, निर्माण और वैक्सीन अभियान का विस्तृत रूप से चित्रण किया गया है, जो न केवल महामारी संकट का वर्णन करता है, बल्कि वैक्सीन के इतिहास में भी जाता है, जिसका पता 2500 साल पहले लगाया जा सकता था।” स्वास्थ्य मंत्री ने लेखकों से यह कहते हुए आगे आने का आग्रह किया कि “अनुसंधान-आधारित प्रलेखन एक ऐसा माध्यम है जो भारत की विरासत को प्रकाश में ला सकता है, विश्व संभावनाओं और समाधानों को दर्शाता है, जैसा कि भारत ने कोविड-19 के दौरान अपनी तैयारियों को दिखाया, हमारी पारंपरिक जड़ों और विरासत पर निर्भर करता है”। उन्होंने आगे कहा, “हमारी विरासत हमारे ज्ञान और विज्ञान को दर्शाती है जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है, और संकट के समय में अनुकरणीय साबित हुई है। हमारे पारंपरिक अभिवादन ‘नमस्ते’ का उदाहरण देते हुए, जो महामारी के संकट में अभिवादन का वैश्विक तरीका बन गया, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “हमारे लोगों को हमारी विरासत के भीतर खोज करनी चाहिए, वे वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के आधार पर परंपराओं का एक गहरा भंडार पाएंगे, जिसने भारत को अपने कब्जे में रखा है और व्यापक रूप से दुनिया द्वारा स्वीकार किया जाता है।”
स्वास्थ्य मंत्री ने लेखकों को अनुसंधान-आधारित प्रलेखन को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जो भारत की परंपराओं और विरासत के खजाने को एक आवाज देगा जो निष्क्रिय है और जिसे भुला दिया गया था, और उन्हें प्रकाश में लाएगा।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि ऐसी 12 प्रकार की बीमारियाँ हैं जिन्हें टीकों से रोका जा सकता है, जिन्हें वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियाँ कहा जाता है, भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण समूह का एक हिस्सा हैं, और भारत सरकार गर्भवती माताओं, युवा और नवजात शिशुओं को ये टीके मुफ्त प्रदान करती है। ।
“इंडियाज वैक्सीन ग्रोथ स्टोरी- फ्रॉम काउपॉक्स टू वैक्सीन मैत्री” नामक पुस्तक भारत द्वारा कोविड-19 के लिए चलाए गए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करती है। इस प्रक्रिया में वैक्सीन से झिझक, उत्सुकता, उपलब्धता, परिवहन, न्यायसंगत पहुंच, प्रभावी जानकारी और अपेक्षा प्रबंधन, कोल्ड चेन डायनेमिक्स, वैक्सीन सेंटर लॉजिस्टिक्स जैसी कठिन और बहुमुखी चुनौतियों पर काबू पाया गया और उनके बारे में जानकारी भी दी गई। लेखक ने भविष्य की चुनौतियों पर भी विचार किया है जो वैक्सीनोलॉजी के लिए उभर सकती हैं और भारतीय वैक्सीन उद्योग के विकास के लिए नई संभावनाएं हैं। यह कोविड-19 टीकों के विकास, उत्पादन और वितरण में भारत की प्रभावशाली उपलब्धि में भी गहराई से उतरती है।
इस अवसर पर अपर सचिव लोक रंजन, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा भी उपस्थित थे।
Comments are closed.