ब्रिटेन ट्रेड डील में सुरक्षित भारत के अधिकार
सीईटीए के तहत कंपल्सरी लाइसेंसिंग पर कोई अतिरिक्त शर्त या रोक नहीं
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स्वास्थ्य आपात स्थिति में भारत अपने कानूनों के अनुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र
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पेटेंट अधिनियम, 1970 की धाराओं में किसी बदलाव की जरूरत नहीं
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ब्रिटेन के सरकारी खरीद बाजार में भारतीय कंपनियों को बिना भेदभाव पहुंच
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 दिसंबर:भारत और ब्रिटेन के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) को लेकर केंद्र सरकार ने साफ किया है कि इससे भारत के कंपल्सरी लाइसेंसिंग के अधिकारों पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं लगेगी। सरकार के अनुसार यह समझौता भारत को जनहित और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में पूर्ण नीतिगत स्वतंत्रता देता है।
स्वास्थ्य आपात स्थिति में भारत को पूरा अधिकार
सरकार ने कहा कि किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति में भारत अपने मौजूदा कानूनों के तहत दवाओं के लिए कंपल्सरी लाइसेंस जारी कर सकता है। इस प्रक्रिया को न तो धीमा किया जाएगा और न ही उस पर कोई नई शर्तें लगाई जाएंगी।
टीआरआईपीएस समझौते के तहत छूट बरकरार
सीईटीए में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारत और ब्रिटेन दोनों को बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े टीआरआईपीएस समझौते के तहत उपलब्ध सभी छूटों का उपयोग करने का अधिकार रहेगा। इसमें अनुच्छेद 31 और 31बीआईएस के अंतर्गत कंपल्सरी लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था भी शामिल है।
पेटेंट कानूनों में बदलाव की जरूरत नहीं
राज्यसभा में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 84 और धारा 92 पूरी तरह लागू रहेंगी। इस समझौते के चलते कानूनों में किसी भी तरह के संशोधन या शिथिलता की आवश्यकता नहीं होगी।
ब्रिटेन के सरकारी खरीद बाजार में भारत को अवसर
इस समझौते के तहत भारत को ब्रिटेन के सरकारी खरीद बाजार में बिना भेदभाव के पहुंच मिलेगी, जिसकी अनुमानित वार्षिक कीमत करीब 90 अरब पाउंड है। इसमें नेशनल हेल्थ सर्विस जैसी प्रमुख संस्थाएं भी शामिल हैं। इससे आईटी, फार्मा और सेवा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है।
प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद
सरकार का कहना है कि सीमित दायरे में विदेशी कंपनियों को सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी की अनुमति देने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लागत घटेगी और गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही नई तकनीकों को अपनाने में भी मदद मिलेगी।
व्यापार नियमों में ढील से भारत को अतिरिक्त लाभ
सरकार ने बताया कि यह पहला अवसर है जब ब्रिटेन ने विश्व व्यापार संगठन के सरकारी खरीद से जुड़े कुछ सख्त प्रावधानों में ढील देने पर सहमति जताई है। इससे भारत को इस समझौते के तहत अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावना है।
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