India Vs Canada: विवाद से ये कंपनियां टेंशन में? कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में लगाया है मोटा पैसा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 अक्टूबर। हाल ही में भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनीतिक विवाद ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत को हिला कर रख दिया है। इस विवाद का असर केवल कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर कई कंपनियों और वित्तीय संस्थानों पर भी पड़ रहा है। खासकर कनाडा के पेंशन फंड, जिसने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया हुआ है, इस तनाव से चिंता में है।

कनाडा के पेंशन फंड का भारत में निवेश

कनाडा के सबसे बड़े पेंशन फंड्स में से एक, कनाडा पेंशन प्लान इनवेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB), भारत में कई क्षेत्रों में भारी निवेश कर चुका है। इन पेंशन फंड्स ने भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाओं, और टेक्नोलॉजी कंपनियों में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है। CPPIB ने 2023 में भारतीय बाजार में लगभग 12 बिलियन डॉलर का निवेश किया था, जिससे यह भारत में विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत बन गया है।

विवाद का असर

भारत और कनाडा के बीच हाल के विवाद ने इन निवेशों को खतरे में डाल दिया है। राजनीतिक तनाव के चलते दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंध कमजोर पड़ सकते हैं, जिससे कनाडा के पेंशन फंड को बड़ा नुकसान हो सकता है। भारतीय बाजार में कनाडा के निवेश का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालिक रिटर्न था, लेकिन अगर दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ते हैं, तो इन निवेशों की सुरक्षा और लाभप्राप्ति पर सवाल उठ सकते हैं।

प्रभावित सेक्टर

कनाडा के पेंशन फंड्स ने भारत के प्रमुख सेक्टर्स में निवेश किया है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में कनाडाई पेंशन फंड्स ने भारी पूंजी लगाई है। सड़कें, हवाई अड्डे, और ऊर्जा क्षेत्र में इनका योगदान महत्वपूर्ण है।
  2. रियल एस्टेट: रियल एस्टेट सेक्टर में भी इन फंड्स ने बड़े निवेश किए हैं, खासकर मेट्रो शहरों के रियल एस्टेट बाजार में।
  3. फाइनेंस और बैंकिंग: भारत के प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान भी कनाडाई पेंशन फंड्स के निवेश का लाभ उठा रहे हैं।
  4. टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स: भारत की तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप इंडस्ट्री भी कनाडाई निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है।

कंपनियों की चिंताएं

इस विवाद के बीच, कई भारतीय और कनाडाई कंपनियां, जिनका व्यापारिक संबंध मजबूत है, तनाव में हैं। ये कंपनियां चाहती हैं कि राजनीतिक मुद्दे व्यापारिक संबंधों पर असर न डालें।

कनाडा के पेंशन फंड्स का भारतीय बाजार में मौजूदगी मजबूत है, और यह निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन चुका है। अगर दोनों देशों के संबंध और बिगड़ते हैं, तो भारतीय कंपनियों को नए निवेशकों की तलाश करनी पड़ सकती है, जबकि कनाडाई निवेशकों को अपने रिटर्न्स को सुरक्षित रखने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, और कनाडाई फंड्स ने इसे एक आकर्षक बाजार के रूप में देखा है। अगर तनाव बढ़ता है, तो अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी सतर्क हो सकते हैं और भविष्य में भारत में निवेश करने से पहले कूटनीतिक स्थिरता पर विचार कर सकते हैं।

निष्कर्ष

भारत और कनाडा के बीच चल रहे विवाद से कनाडाई पेंशन फंड्स और अन्य अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के हितों पर असर पड़ सकता है। भारतीय बाजार में उनके बड़े निवेश की वजह से वे इस स्थिति को गंभीरता से ले रहे हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो इसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकता है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.