इंडो-पैसिफिक में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए ‘स्क्वाड’ सैन्य गठबंधन का सदस्य बनेगा भारत
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 मार्च। भारत जल्द ही एक नए रक्षा गठबंधन ‘स्क्वाड’ (Squad) का हिस्सा बनने जा रहा है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए गठित किया गया है। यह गठबंधन विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर के विवादित जलक्षेत्र में सुरक्षा और समुद्री सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित होगा।
‘स्क्वाड’ पहले से ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस को सदस्य के रूप में शामिल कर चुका है। अब, भारत की भागीदारी से इस गठबंधन को नई शक्ति मिलने की उम्मीद है।
फिलीपींस, जो पहले से ही स्क्वाड का सदस्य है, भारत की सदस्यता को लेकर मुखर रहा है। फिलीपींस का मानना है कि चीन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक सामान्य खतरा है, और इसी कारण साझा दुश्मन का सामना करने के लिए देशों को एकजुट होने की जरूरत है।
फिलीपींस सशस्त्र बलों के प्रमुख, जनरल रोमियो एस. ब्रॉर्नर ने भारत की सदस्यता का खुलकर समर्थन करते हुए कहा, “जापान और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर, हम ‘स्क्वाड’ में भारत और संभवतः दक्षिण कोरिया को शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। चीन हमारा साझा प्रतिद्वंदी है, और भारत के साथ हमारे हित समान हैं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि चीन हमारा साझा शत्रु है।”
हाल के वर्षों में, फिलीपींस और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर बढ़ते विवाद ने इस क्षेत्र में मजबूत गठबंधन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
चीन, इस रणनीतिक जलमार्ग पर लगभग संपूर्ण अधिकार जताता है, जबकि फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम सहित कई अन्य देश इसके दावों का विरोध कर रहे हैं। 2016 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने चीन के दावों को अवैध करार दिया था, लेकिन बीजिंग ने इस फैसले को कभी स्वीकार नहीं किया और आक्रामक गतिविधियां जारी रखीं, जिससे तनाव और बढ़ गया।
‘स्क्वाड’ का मुख्य उद्देश्य खुफिया जानकारी साझा करना, संयुक्त सैन्य अभ्यास करना और चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है। यह एक अनौपचारिक बहुपक्षीय गठबंधन है, लेकिन इसके सदस्य पहले से ही दक्षिण चीन सागर में संयुक्त समुद्री अभियान चला रहे हैं।
विशेष रूप से, ये अभियान फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में हो रहे हैं। पिछले वर्ष शुरू हुई यह पहल, चीन द्वारा विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण और आक्रामक गतिविधियों के जवाब में देखी जा रही है।
भारत के लिए इस गठबंधन में शामिल होना इंडो-पैसिफिक में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
भारत पहले से ही क्वाड (Quad) का सदस्य है, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में चीन के प्रभाव को रोकना है, लेकिन ‘स्क्वाड’ की प्राथमिकता दक्षिण चीन सागर पर अधिक केंद्रित है और इसका दृष्टिकोण ज्यादा सैन्य-प्रधान है।
भारत की स्क्वाड सदस्यता केवल सैन्य और कूटनीतिक सहयोग तक सीमित नहीं रहेगी।
फिलीपींस सशस्त्र बल प्रमुख ने कहा कि उनका देश अपनी रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने के लिए भारत से अधिक उन्नत हथियार प्रणाली खरीदना चाहता है।
“हम पहले से ही भारत से ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली प्राप्त कर रहे हैं और इसके अन्य घटकों की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं। अब तक, हम इससे पूरी तरह संतुष्ट हैं, और यह दक्षिण चीन सागर में प्रभावी निवारक प्रभाव डाल रहा है,” जनरल ब्रॉर्नर ने कहा।
भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, दक्षिण चीन सागर में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
फिलीपींस द्वारा इस मिसाइल प्रणाली को अपनाना चीन की आक्रामक रणनीति का प्रभावी जवाब माना जा रहा है। अब, इस प्रणाली के अधिक घटकों की आपूर्ति से भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत होने की संभावना है।
‘स्क्वाड’ का गठन और इसमें भारत की संभावित भागीदारी क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकती है।
दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते सैन्यीकरण और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी विस्तारवादी नीतियों को देखते हुए, भारत, फिलीपींस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सामूहिक रक्षा और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
‘स्क्वाड’ के बढ़ते प्रभाव और नए सदस्यों की संभावित भागीदारी को लेकर चीन की प्रतिक्रिया अनिश्चित बनी हुई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि इंडो-पैसिफिक अब रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन चुका है।
इस नई सुरक्षा संरचना में भारत की भूमिका आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक होगी।
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