समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 मार्च। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच क्रेमलिन के साथ नई दिल्ली के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर भारत पर पश्चिमी देशोंका दबाव बढ़ने लगा है, इस बीच पिछले दो सालों से सीमा पर चले आ रहे भारत-चीन सैन्य तनाव के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचेंगे। आधिकारिक तौर पर कोई भी ये नहीं कह रहा है कि चीनी विदेश मंत्री के दौरे से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझा का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन सूत्र ये मान रहे हैं कि इस दौरे से विदेश मंत्री एस. जयशंकर के लिए बीजिंग जाकर सीमा विवाद मुद्दे पर विस्तार से बात करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए चीन का दौरा कर सकते हैं
वहीं, अगर सबकुछ ठीक रहा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए चीन का दौरा कर सकते हैं। ब्रिक्स समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन रूस-भारत और चीन के समूह वाले सम्मेलन के साथ-साथ हो सकता है। वांग यी सीधे पाकिस्तान से नई दिल्ली पहुंचेंगे, जहां वे इस्लामिक देशों के संगठन के मंत्री स्तरीय सम्मेलन में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए थे। हालांकि तेजी से बदलती वैश्विक भौगोलिक राजनीति को देखते हुए भारत ने अपने उस स्टैंड में ढील दी है, जिसमें लगातार इस बात पर जोर दिया जाता रहा है कि किसी भी विदेशी हस्ती को अपना भारत दौरा पाकिस्तान के साथ नहीं जोड़ना चाहिए।
अमेरिका रूस से रिश्ता खत्म करने के पक्ष में
दरअसल अमेरिका और उसके सहयोगी देश लगातार भारत को साथ मिलकर काम करने और जरूरी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने का ऑफर दे रहे हैं। साथ ही रूसी मिलिट्री उपकरणों और तेल की आपूर्ति की बात भी कह रहे हैं। पेंटागन के अधिकारी डोनाल्ड लू और वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक विक्टोरियल नूलैंड पिछले दो दिनों से लगातार विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला से मुलाकात कर भारत को विभिन्न ऑफर दे रहे हैं। अमेरिकी राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका भारत को वह सबकुछ उपलब्ध कराएगा, जो वह रशिया से खरीदता है। बता दें कि डोनाल्ड लू और विक्टोरियल नूलैंड ने ही 2014 में यूक्रेन से रूस समर्थित सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाई थी।
भारत क्वाड का महत्वपूर्ण भागीदारः अमेरिका
हालांकि बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत, स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए क्वाड में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप तथा सैन्य प्रतिष्ठान भी बनाए हैं।
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