भारत के पास होगी अपनी रोबोटिक सेना… DRDO बना रहा ह्यूमेनॉयड लड़ाके

जीजी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली,11 मई:
“अब जंग के मैदान में इंसान नहीं, स्टील की मांसपेशियां और सिलिकॉन की बुद्धि दुश्मन को धूल चटाएंगी।” – भारत अब उस भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहां बॉर्डर पर दुश्मन का सामना करने के लिए सिर्फ सैनिक ही नहीं, बल्कि ह्यूमेनॉयड लड़ाके भी तैनात होंगे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए भारत की पहली रोबोटिक सेना बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इन ह्यूमेनॉयड लड़ाकों को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वे न सिर्फ दुश्मन का खात्मा कर सकें, बल्कि घातक मौसम, बारूदी सुरंगों और जैविक हमलों का भी सामना कर सकें।

इन रोबोटिक सैनिकों को इंसानों की तरह चलने, दौड़ने, कूदने और निशाना लगाने में महारत होगी। उनके ‘दिमाग’ में लगे एडवांस्ड AI सिस्टम उन्हें रियल-टाइम फैसला लेने की क्षमता देगा। ये रोबोट न सिर्फ बंदूकों से लैस होंगे, बल्कि खतरनाक ड्रोन और मिसाइलों को भी नियंत्रित कर सकेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ये ह्यूमेनॉयड रोबोट उन दुर्गम और खतरनाक इलाकों में तैनात होंगे, जहां इंसानी जिंदगी को सबसे बड़ा खतरा होता है – सियाचिन का शून्य से नीचे तापमान हो या रेगिस्तान की झुलसाती गर्मी।

इन रोबोटों का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वे दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकेंगे और जरूरत पड़ने पर बिना किसी हिचकिचाहट के फायरिंग कर सकेंगे। आतंकियों के छिपने के ठिकानों को ढूंढ निकालना और घुसपैठियों को मार गिराना इनके बाएं हाथ का खेल होगा।

यह पहल न केवल भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक सैन्य शक्तियों के सामने एक स्पष्ट संदेश भी होगी – भारत तकनीकी रूप से न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है।

रोबोटिक सेना का यह सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है, और तब दुनिया देखेगी – जब भारत का हर दुश्मन, मेटल और माइक्रोचिप्स से बने इन ह्यूमेनॉयड योद्धाओं से खौफ खाएगा। “अब दुश्मन को न सिर्फ इंसानों से, बल्कि भारत की ‘मशीन की मर्दानगी’ से भी टकराना पड़ेगा!”

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