समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,3 अक्टूबर।भारत और कनाडा के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले हा है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो ने भारत पर आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था. उन्होंने निज्जर को अपना नागरिक बताया था और कहा था कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है. भारत ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. दोनों देशों के बाद तब से लगातार रिश्ते खराब होते चले गए हैं.
इस बीच एक बड़ी खबर यह है कि भारत ने कनाडा से कहा है कि वह अपने करीब 40 राजनयिकों को नई दिल्ली से वापस बुला ले. इसके लिए भारत ने कनाडा को 10 अक्टूबर तक का समय दिया है.
बता दें कि भारत में कनाडा के 62 राजनयिक हैं. नई दिल्ली ने ओट्टावा को कहा है कि वह अपने 41 राजनयिकों को अगले मंगलवार तक वापस बुला ले. भारत पहले ही कनाडाई नागरिकों के लिए भारत की वीजा सेवाएं रद्द कर चुका है.
ज्ञात हो कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को कनाडा की संसद में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे. इसके बाद भारत ने अगले ही दिन कनाडा के उच्चायुक्त को बुलाकर अपनी आपत्ति जताई और एक राजनयिक को जासूसी के आरोप में देश छोड़कर जाने को कहा.
भारत और कनाडा के बीच तब से लगातार संबंध में दरार बनी हुई है. जिस हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा के प्रधानमंत्री अपना नागरिक बता रहे हैं और जिसकी हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वह भारत का भगोड़ा आतंकवादी है. उस पर भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का आरोप है और NIA ने इस संबंध में चार्जशीट भी दाखिल की है. भारत ने कनाडा को इस संबंध में सूचना भी दी, लेकिन कनाडा भारत के सबूतों को दरकिनार करते हुए खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों को लगातार शरण दिए हुए है.
कनाडा खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों का गढ़ बन गया है. श्रीलंका ने भी इस संबंध में भारत के सुर में सुर मिलाया. जस्टिन ट्रूडो को उम्मीद थी कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे उसके दोस्त उसका साथ देंगे. लेकिन अपनी घरेलू राजनीति में बढ़त हासिल करने मंशा से भारत पर लगाए गए ट्रू़डो के आरोपों पर उसे अपने दोस्तों का भी साथ नहीं मिला है.
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