समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 जून।कनाडा सरकार के कुछ भारतीय विद्यार्थियों को वापस भेजने के फैसले पर रोक लगाने में भारत सरकार के प्रयास मददगार साबित हुए हैं। कनाडा प्रशासन के पास कथित रूप से फर्जी प्रवेश पत्र जमा कराने के आरोप में इन भारतीय विद्यार्थियों पर देश वापसी का संकट गहरा गया था। भारत ने इन विद्यार्थियों का मुद्दा कनाडा सरकार के समक्ष उठाया। सूत्रों ने बताया कि मीडिया में इन विद्यार्थियों की संख्या सात सौ बताई गई, जबकि इनकी वास्तविक संख्या काफी कम है। इनमें से अधिकतर विद्यार्थी वर्ष 2017 से 2019 के दौरान कनाडा गए थे और कुछ ने अपनी पढाई पूरी करने के बाद काम करने के लिए अनुमति हासिल की थी।
सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहृमण्यम जयशंकर ने कनाडा के विदेश मंत्री के साथ इन विद्यार्थियों का मुद्दा उठाया। विदेश मंत्रालय में पूर्वी मामलों के सचिव सौरभ कुमार ने भी इस वर्ष अप्रैल में अपनी कनाडा यात्रा के दौरान इन विद्यार्थियों को हो रही परेशानी के बारे में कनाडा सरकार से बात की थी। टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी भी इन विद्यार्थियों से मिले। इनमें से ज्यादातर विद्यार्थी टोरंटो में ही रहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि कनाडा सरकार से बार-बार आग्रह किया गया था कि इस पूरे मामले में सही और मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं और इसमें विद्यार्थियों का कोई दोष नहीं है। पूरे मामले में कनाडा सरकार को व्यवस्था में खामियों और तत्परता की कमी के बारे में भी बताया गया। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों का वीजा मंजूर किया गया और उन्हें कनाडा में प्रवेश की अनुमति दी गई।
इसके बाद से ही कनाडा में विभिन्न दलों के सांसद इन विद्यार्थियों के समर्थन में आगे आए हैं। कनाडा के प्रवासन मंत्री सीन फ्रेजिर ने संकेत दिया कि अनिश्चय की स्थिति का सामना कर रहे इन अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों की समस्या का तेजी से हल निकाला जा रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भी इन विद्यार्थियों के पक्ष में सही व्यवहार किए जाने की बात स्वीकार की है। कुछ विद्यार्थियों को उनके देश वापस भेजे जाने के नोटिस पर रोक लगाने से जुडे आदेश प्राप्त हो चुके हैं।
सूत्रों ने बताया कि कनाडा सरकार का इन विद्यार्थियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण स्वागत योग्य कदम है।
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