समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 फरवरी। कनाडा में राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय मूल के उम्मीदवारों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल ही में लिबरल पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया में कुछ भारतीय मूल के उम्मीदवारों को झटका लगा। कई भारतीय-कैनेडियन नेता पार्टी के नामांकन की दौड़ से बाहर हो गए हैं, जिससे प्रवासी भारतीय समुदाय में निराशा देखी जा रही है।
लिबरल पार्टी की चयन प्रक्रिया और विवाद
कनाडा की लिबरल पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए अपने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। हालांकि, कई भारतीय मूल के उम्मीदवारों को टिकट न दिए जाने की खबरें सामने आई हैं। पार्टी की इस प्रक्रिया को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह भारतीय मूल के नेताओं को हाशिए पर धकेलने की रणनीति है, या फिर यह केवल एक संयोग मात्र है?
भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
भारतीय-कैनेडियन समुदाय ने इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त की है, क्योंकि कनाडा की राजनीति में भारतीय प्रवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं, लेकिन इस बार की चुनावी दौड़ में उनकी उम्मीदों को झटका लगा है।
पहले भारतीय मूल के नेता रहे हैं प्रभावशाली
पिछले वर्षों में भारतीय मूल के कई नेता कनाडा की राजनीति में सफल रहे हैं। लिबरल पार्टी में ही हरजीत सज्जन, अनीता आनंद और नवदीप बैंस जैसे नेता मंत्री पदों तक पहुंचे हैं। लेकिन इस बार पार्टी के फैसले को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या यह भारतीय मूल के नेताओं को सीमित करने का प्रयास है?
क्या यह प्रवासी राजनीति में बदलाव का संकेत है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय-कैनेडियन समुदाय की राजनीतिक भागीदारी को नजरअंदाज करना लिबरल पार्टी के लिए जोखिम भरा हो सकता है। भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या कनाडा में लगातार बढ़ रही है और वे मतदाता के रूप में एक प्रभावशाली शक्ति बन चुके हैं। अगर उन्हें राजनीतिक रूप से पीछे किया जाता है, तो यह भविष्य में लिबरल पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
आगे क्या होगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय समुदाय के नेता और मतदाता इस घटनाक्रम पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वे लिबरल पार्टी के बजाय अन्य दलों की ओर रुख करेंगे या फिर पार्टी अपने फैसलों पर पुनर्विचार करेगी?
निष्कर्ष
भारतीय मूल के उम्मीदवारों का लिबरल पार्टी की दौड़ से बाहर होना प्रवासी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया है या एक रणनीतिक बदलाव – यह आने वाले चुनावों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि भारतीय-कैनेडियन समुदाय की राजनीतिक भागीदारी और प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।
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