यूएन में भारत का बड़ा बयान: “खून बहाने वाले पाकिस्तान को पानी नहीं”

समग्र समाचार सेवा,

नई दिल्ली, 24 मई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक बयान “खून और पानी अब नहीं बहेगा साथ” के संदर्भ में भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर संयुक्त राष्ट्र में बड़ा और सख्त रुख अपनाया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि सिंधु जल संधि का उल्लंघन पाकिस्तान की ओर से हुआ है और अब भारत ऐसे देश को पानी नहीं दे सकता, जो भारतीय नागरिकों का खून बहाता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध थोपे और हजारों आतंकवादी हमलों के जरिए सिंधु जल संधि की भावना को कुचल डाला।

65 वर्षों की सद्भावना का दुरुपयोग

राजदूत हरीश ने कहा कि भारत ने 1960 में सद्भावना के साथ यह संधि की थी। इसका मकसद था दोनों देशों के बीच विश्वास और मैत्री बनाए रखना, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की हरकतों से भारत को मजबूरन यह फैसला लेना पड़ा कि संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए, विशेषकर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई।

20 हजार से अधिक भारतीयों की जान गई

राजदूत ने कहा कि बीते चार दशकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने 20,000 से ज्यादा भारतीयों की जान ली है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने इस दौरान असाधारण धैर्य और उदारता दिखाई, लेकिन पाकिस्तान की हरकतों ने संधि को अर्थहीन बना दिया है।

पाकिस्तान की हठधर्मिता पर भी सवाल

भारत ने कहा कि उसने कई बार पाकिस्तान को सिंधु जल संधि में जरूरी बदलावों के लिए बातचीत का न्योता दिया, लेकिन इस्लामाबाद ने बार-बार इनकार किया। हरीश ने कहा कि आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और सुरक्षा जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, तो ऐसे में तकनीकी सुधारों की जरूरत है। लेकिन पाकिस्तान इन प्रयासों को रोकता आ रहा है।

“आतंक के साथ दोस्ती नहीं”

भारत ने साफ कर दिया कि अब स्थिति बदल चुकी है। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं छोड़ता और सीमा पार आतंक को विश्वसनीय तरीके से समाप्त नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि को लागू नहीं किया जाएगा।

भारत ने यूएन में पाकिस्तान को घेरा

हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘सशस्त्र संघर्ष के दौरान जल और नागरिक सुरक्षा’ विषय पर पाकिस्तान को जमकर घेरा और कहा कि जो देश आतंकियों और नागरिकों में फर्क नहीं करता, उसे आम नागरिकों की सुरक्षा पर बात करने का कोई हक नहीं है।

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